सुबह की रौशनी में आसमाॅं मुस्कुरा उठा,
मन के सारे तार एक साथ मधुर स्वर में गा उठे।
सुबह की अद्भुत बेला हज़ारो खुशियों का संकेत दे गई,
वहीं पूरे दिन के संतुलन का आधार बनकर रह गई।
चिड़ियों का चहचहाना, हवाओं का कौतूहल,
मन में पड़े जाने कितने गांठ खोल गई।
निराशा के बादल छट कर, आशा की किरण बन गई,
नई दिशा का मार्ग दिखाकर चलने का हौसला दे गई।
बढ़ती रौशनी अंधेरो पर विजय का एहसास कराती,
जीने का उद्देश्य बता कर संध्या में विलीन हो गई।
– Supriya Shaw…✍️🌺