कविता – पतंग हूँ मैं, दुनिया

पतंग हूँ मैं    पतंग हूँ मैं उड़ना चाहती हूँ में जीवन के सारे रंग समेटे उड़ती हूँ तलाश ने अपना एक मुठ्ठी आसमान।  चाहती हूँ बस कटने ना दोगे कभी कट भी जाऊँ दुर्भाग्य से तो लूटने न दो कभी सहेज लोगे  प्यार का लेप लगा।  बाॅंध लोगे फिर मुझे एक नये धागे से प्यार … Continue reading कविता – पतंग हूँ मैं, दुनिया