Month: March 2021

कैरेमल कस्टर्ड पुडिंग

Caramel Custard pudding

सामग्री – कस्टर्ड पाउडर  4 टेबल स्पून

           दूध – 1/2 लीटर     

        चीनी लगभग – 1 1/2 कटोरी 

    6 सफेद ब्रेड (इन ब्रेड के ब्राउन वाले हिस्से को हम निकाल देंगे और छोटे-छोटे पीस इसमें कट करके एक ग्राइंडर में डालकर इसका बारीक पाउडर बना लेंगे)

गार्निशिंग के लिए –

स्ट्रॉबेरी जेली, व्हाइट एंड ब्राउन चॉकलेट ।           

विधि – सबसे पहले एक नॉन स्टिक कढ़ाई में लगभग 5-6 चम्मच चीनी डालकर उसको हल्की ऑंच में कैरेमल होने के लिए रख देंगे,

 बीच-बीच में चीनी को हिलाते रहेंगे जिससे कि वह जल ना जाए, तो उसे जल्दी से एक केक पैन में डाल देंगे और उसको धीरे-धीरे उसको एक पैन में फैला लेंगे। अब हमारा कैरेमल तैयार है।

अब हम 4 टेबलस्पून कस्टर्ड पाउडर को एक कप में थोड़े पानी के साथ अच्छे से मिक्स करेंगे ध्यान रहे उसमें कोई भी छोटी-छोटी गोलियाॅं नहीं बननी चाहिए। फिर हम एक नॉन स्टिक कढ़ाई में आधा लीटर दूध डाल देंगे और उसको मीडियम आँच में गरम करेंगे और फिर उसमें लगभग डेढ़ कप चीनी डालकर को पकाएंगे। जब चीनी उसमें पूरी तरीके से घुल जाए तो अब जो हमारा कस्टर्ड हमने घोल के रखा था उसको दूध में डाल देंगे अब जो हमने सफेद ब्रेड का चूरा बनाया था उसको धीरे-धीरे इस दूध में डालते जाएंगे और चलाते जाएंगे याद रहे कि गैस जो है मीडियम रहनी चाहिए और धीरे-धीरे हम सारा ब्रेड का चूरा उसके अंदर डाल देंगे और लगभग ऐसे 2 से 3 मिनट तक पकाना है।

अब यह हमारा कस्टर्ड जो है थोड़ा गाढ़ा हो जाएगा अब हम इसको उस केक पैन में डाल देंगे जिसमें हमने पहले से ही कैरेमल बना कर रखा है । अब इसको अच्छे से सेट करेंगे एलमुनियम फाइल की हेल्प से इसको ऊपर से अच्छे से और टाइट करके ढक देंगे।

लगभग अब हमें इसे रूम टेंपरेचर पर ही 1 से 2 घंटे तक रहने देना है। उसके बाद अब इसे हम फ्रिज में लगभग 2 घंटे के लिए रख देंगे।

2 घंटे के बाद अब आप इसको बाहर निकलेंगे और एक प्लेट में बहुत ही ध्यान पूर्वक पलट देंगे।

अब आपका कैरेमल कस्टर्ड पुडिंग तैयार है आप इसको ब्राउन, वाइट चॉकलेट को घिसकर और स्ट्रॉबेरी जेली के साथ गार्निशिंग कर सकते हैं । 

सीता वोरा

पांवटा साहिब,  हिमाचल प्रदेश 

Beauty And Cosmetics tips

Comic satirical compositions

Poem

व्यंग्य रचना – माॅं-बाप का बैंड बजा देते हैं वह बच्चे, जिनके आगमन पर माॅं-बाप बैंड बजाए थे कभी

व्यंग्य रचना

बच्चा जब जन्म लेता है तब माॅं-बाप फूले नहीं समाते और नाच, बाजा-गाजा, भोज करा कर खुशी से स्वागत करते हैं अपने जिगर के टुकड़े के आगमन का। और वहीं बच्चा बड़ा होकर जब उनकी बैंड बजा देता हैं और वह भी बड़े शान से।

उनके ज्ञान और सूझबूझ के सामने माॅं-बाप की समझ दूर-दूर तक बराबरी में नहीं होती हैं। उनका ज्ञान सर्वोपरि और सर्वश्रेष्ठ हो जाता है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि वह चार पैसे कमा कर और परिवार, रिश्तेदार, समाज से दूर एक कमरे में ज़िंदगी गुजारने में खुद को इंडिपेंडेंट समझने लगते हैं। 

गिने-चुने चार दोस्तों के साथ बैठकर बर्गर-पिज्जा के साथ हेल्थ ड्रिंक पीकर ज़िंदगी का तजुर्बा गिनाते नहीं थकते हैं। उन्हें किसी माॅं, बाप, भाई, बहन रिश्तेदार की ज़रूरत नहीं होती, वह तो मस्त मलंग अपनी धुन में ऑफिस से उस चारदीवारी में और उस चारदीवारी से ऑफिस में अपनी दुनिया बसा लेते हैं। भले ही उस ऑफिस में रोज जलील होना पड़े, मगर उनके स्वाभिमान को ठेस नहीं पहुॅंचती, मगर क्या मजाल मां-बाप दो शब्द उनकी झोली में डालना चाहे और वो स्वीकार कर ले, उससे बड़ी जिल्लत उनके लिए कुछ नहीं! 

ऑफिस की डांट फटकार सब स्वीकार है नहीं स्वीकार तो वह माॅं-बाप की तेज आवाज। आखिर कैसे स्वीकारे, सारे सूझबूझ तो पैदा होते ही विरासत में मिल गई थी। उंगली पकड़कर चलना भी कहाॅं सिखाया था किसी ने, कभी जरूरत पड़ी ही नहीं। पैदा होते ही खड़े होकर ऑफिस जाने लगे चार पैसे कमाने।

 हवा में उड़ना बिना पंख के कितना शोभनीय होता है इसका उदाहरण बच्चे ही तो समझाते हैं। वरना माॅं-बाप तो हमेशा फूंक-फूंक कर कदम रखना और चलना बताते हैं। और यहीं पर उन्हें पिछड़ी प्रवृत्ति के सम्मान से नवाजे जाते हैं। 

जमाने के कदम से कदम मिलाकर चलते इन बच्चों को शत-शत नमन करना जरूरी है। बंद आंखों के परदे खोल अकेले जीना बड़ी चतुराई से सीखाते हैं ये माॅं-बाप को। आज हर घर की कहानी पर यह छोटा सा व्यंग्य शायद कुछ लोगों को अच्छा ना लगे मगर कुछ लोगों को ही सही सच्ची लगेगी ज़रूर।

– Supriya Shaw…✍️🌺

बाल मजदूरी के कारण और दुष्प्रभाव

अब वो ज़माना नहीं रहा -एक व्यंग

प्रेरणादायक विचार

नए भारत का निर्माण

कविता – प्रेम विरह कविता

इश्क़ के नाजुक डोर से

इश्क़ के नाजुक डोर से

बाॅंध लो तुम हमें भी आज अपने इश्क़ के नाजुक डोट से, 

खुशियाँ हम भी भरेंगे, तेरे जीवन के दामन में अपनी ओर से।

तेरे लबों पर लाना है हमें भी एक प्यारी – सी मुस्कुराहट,

 तुम तक पहुॅंचने ना देंगे, हम कभी कोई ग़म की आहट।

तेरे परेशां दिल को पहुँचाना है अब हमें भी राहत, 

जन्मों- जन्मों तक करें हम, बस एक तेरी ही चाहत।

बाॅंध लो तुम हमें भी आज अपने इश्क़ के नाजुक डोर से, 

खुशियाँ हम भी भरेंगे, तेरे जीवन के दामन में अपनी ओर से।

Best heart touching love shayari

भारतीय संस्कृति और वैलेंटाइन सप्ताह

गुस्सा भी नुकसानदायक होता है

एक सपना जो हर किसी भारतीय के आँख में पल रहा है

मेरा ये ज़ालिम दिल चाँद को चूमने की ख्वाहिश रखता है

मेरा ये जालिम दिल हर पल बस चाँद को चूमने की ख्वाहिश रखता है, 

उसके इश्क़ की खुशबू में अपने आपको खोने की आजमाईश रखता है, 

उसकी शीतलता के आगोश में कुछ हसीन सपने बुनने की फरमाइश रखता है,

पता है मुझे, इश्क -ए महताब शायद नहीं हमारी क़िस्मत में,

फिर भी बन चकोर एकटक उसे और उसकी खुबसूरती को हर वक़्त निहारना चाहता है, 

रजनीगंधा – सी बनकर उसकी सुनहरी यादों में हर पल बस महकना चाहता है।

संवरती हूॅं

संवरती हूॅं

ओ मेरे रांझणा!

तेरे उदास से मायूस ऑंखों में असीम खुशियाँ झलकाने के लिए, 

तेरे सुनहरे यादों की दरिया में सराबोर ही नित्य – प्रति संवरती हूँ मैं,

तेरे गहरे अथाह प्रेम की मनोरम महक से हर पल ही निखरती हूँ  मैं,

यूँ तो काजल और कुमकुम अक्सर ही मेरी ख़ूबसूरती को और भी बढ़ा देती है ,

पर तुम्हारी मौजूदगी मेरी उस ख़ूबसूरती में भी हर बार चार चाँद लगा देती है।

तेरा यूॅं शर्माना

मुझे देखकर हर दफा दाँत तले अपनी उंगली दबा तेरा ये शरमाना, 

दुपट्टे के ओट तले अपना चेहरा, चाहत भटी मेरी निगाहों से छिपाना, 

अपनी प्यारी-सी मुस्कान से हमेशा ही हमें बरबस अपनी ओर लुभाना, 

अपनी खुशबू बिखेरते हुए मेरे करीब से झटपट तेरा भाग जाना, 

उफ्फ तेरी ये अदा मेरे मासूम दिल पर छुरी चला जाती है,

है तुझे भी इश्क़ हमसे, इसका अहसास हमें दिला जाती है।।

ये दिल

ये दिल

ये दिल इतना बेदर्द क्यों है? 

जो हर ग़म को ख़ुद में छिपाता है,

हर दर्द को सीने में दफनाता है, 

इतना क्यों ख़ुद को तड़पाता है? 

चाह कर भी कुछ ना किसी को बताता है, 

आखिर ये दिल इतना बेदर्द क्यों है? 

लोगों का दामन जब इसे अकेला छोड़ जाता है, 

तन्हाई भी तब इसे अंदर तक तोड़ जाता है। 

उस पर ऑंसू इतना बहाता है, 

दर्द को छिपाए छिपा नहीं पाता है, 

ये हद से ज्यादा जब घबराता है, 

मन भी कुछ समझ नहीं पाता है। 

जाने क्या पता इसकी क्या मजबूरी है? 

किस बात के लिए खुद की मंजूरी है? 

जो हर राज़ को सभी नजरों से बचाता है, 

जो हर दर्द को सीने में दबाता है। 

आखिर दिल इतना बेदर्द क्यों है?

तेरे प्रेम में बस एक तेरे ही प्रेम में

मेरी नजरों के सामने यूँ ही बैठे रहो तुम बिल्कुल गुपचुप होकर, 

 देखता रहूँ बस तुझे एकटक मैं अपनी सुध – बुध खोकर । 

होश में लाने भी ना पाये हमें दुनिया की कोई भी फिजूल बातें, 

तेरी ही बस एक तेरी ही पनाहों में गुजर जायें मेरी हर एक राते । 

तेरे प्रेम में बस एक तेरे ही प्रेम में मैं मस्त मलंग बन जाऊँ, 

तू मेरी हीर और मैं  ; मैं  मैं तेरा रांझा बन जाऊँ । 

मेरी नजरों के सामने यूँ ही बैठे रहो तुम बिल्कुल गुपचुप होकर, 

 देखता रहूँ बस तुझे एकटक मैं अपनी सुध – बुध खोकर ।

लेखिका: आरती कुमारी अट्ठघरा ( मून)

नालंदा, बिहार

बाल मजदूरी के कारण और दुष्प्रभाव

 बाल मजदूर

अक्सर देखा है उन मासूम ऑंखों में सपनों को मरते हुए, रोजाना, हर दिन, हर पल, एक ख़्वाब को धीरे-धीरे दम तोड़ते हुए। कभी सिग्नल पर नन्हें हाथों में फूल बेचते हुए तो कभी कोई खिलौना, कोई किताब बेचते हुए। ये बच्चे रोज़ अपनी रोटी का जुगाड़ करते नज़र आते हैं। इनका कुसूर सिर्फ इतना है कि ये मजबूर है, क्योंकि ये बाल मजदूर हैं। 

जी हाॅं, बाल मज़दूर का अर्थ यूॅं तो हर देश, हर समाज, हर कानून अपनी तरह से लगता है, लेकिन हमारी नज़र में हर वो बच्चा, जो अपना बचपन खोकर सिर्फ रोटी के जुगाड़ में लगा रहता है, जो स्कूल नहीं जा सकता, जो सपने नहीं देख सकता और अपने हक़ के लिए लड़ नहीं सकता, बाल मज़दूर है। 

क्यों होती है बाल मज़दूरी?             

  • ग़रीबी, अशिक्षा और परिवारिक व सामाजिक असुरक्षा इसका सबसे बड़ा कारण है। 
  • शहरों में जिस तरह से घरेलू नौकर के रूप में बच्चों से काम करवाने का चलन बढ़ा है, वो चलन अब बेलगाम हो चुका है। 
  • छोटे – छोटे होटलों, ढाबों या गैराज में काम करने वालों में अधिकतर बच्चे ही होते हैं। 
  • यही नहीं, कई ऐसे काम हैं, जो बच्चों के लिए खतरनाक हैं। ऐसी जगहों पर बच्चों से 14-16 घंटों लगातार काम करवाया जाता है। 
  • बच्चों के रूप में सस्ता लेबर मिल जाता है। 
  • उन्हें डराया, धमकाया जा सकता है। 
  • वो विरोध नहीं कर सकते। इन्हीं सब वजहों से बाल मजदूरी खत्म नहीं हो रही। 
  • गरीब व अशिक्षित लोग खुद मजबूर होते हैं। वो बच्चों को स्कूल भेजना अफोर्ड नहीं कर सकते, उनके लिए जो बच्चा दिनभर कुछ काम करके  थोड़े से पैसे घर ले आए, वही काम का है। ऐसे में खुद इन बच्चों के माता- पिता भी कई बार जाने-अनजाने बाल मज़दूरी के लिए बच्चों पर दबाव डालते हैं। 

बाल मजदूरी का दुष्प्रभाव –              

जो बच्चे इसे झेलते हैं, उन पर इसका शरीरिक, मानसिक व भावनात्मक प्रभाव पड़ता ही है। 

  • इन बच्चों को समान्य बचपन नहीं मिलता। 
  • कुपोषण के शिकार होते हैं। 
  • अमानवीय व गंदे माहौल, जैसे पटाखा बनाने के कारखानों, कोयला खदानों आदि में काम करने पर इनका स्वास्थ्य खराब होता है। 
  • कमजोरी के कारण ये जल्दी बीमार पड़ते है। 
  • घरेलू काम करने वाले  बच्चों की हालत भी कोई बहुत अच्छी नहीं होती। उनकी उम्र से अधिक उनसे काम करवाया जाता है। 
  • मानसिक रूप से भी वे सामान्य बच्चों की तरह नहीं रह पाते। 
  • अशिक्षा की वजह से उनका पूरा भविष्य ही अंधकारमय हो जाता है। 

 क्या कोई उपाय है?         

कोई भी समस्या मात्र कानून से ही खत्म नहीं होती। सामाजिक स्तर पर भी उसे खत्म करने के पूरे प्रयास होने चाहिए। लोगों को जागरूक व सतर्क करना जरूरी है। बदलाव आने में तो सदियाॅं लग जाती है। तब तक सरकार व प्रशासन को ही अपने स्तर पर कोशिश करनी चाहिए। ताकि उन्हें एक सामान्य बचपन मिल सके और हर बच्चे के चेहरे पर मुस्कान बिखर सके। 

लेखिका : उषा पटेल

छत्तीसगढ़, दुर्ग


कविता – लो बसंत का मौसम आया

कविता- हार कर भी जीत जाना है

नारी के रूप अनेक

मनमोहक कहानी

अब वो ज़माना नहीं रहा -एक व्यंग

एक व्यंग

आज सब कहते हैं “अब वो जमाना नहीं रहा” और एक गहरी सांस लेकर, ऑंखों में उमड़ते हजारों सवालों के बीच ख़ुद को खड़ा करना कोई नहीं चाहता।

 मगर चेहरे की उदासी बखूबी बयाॅं कर देती है उनके अंदर के तूफ़ान को, और उनके शब्दों के उतार-चढ़ाव को। 

कितना आसान है ना, एक छोटा सा सवाल दूसरों से करना, मगर ख़ुद से कभी नहीं।

हम किस जमाने को ढूंढते हैं या ढूंढना चाहते हैं? उसे तो दकियानूसी, पिछड़ा कल्चर कहकर छोड़ दिए थे। आज उसकी ज़रूरत क्यों पड़ी?

ज़रा नज़र उठा कर देखे, जमाना वहीं है बस त्याग और बलिदान जैसे आचरण लुप्त हो गए हैं, क्योंकि त्याग की सटीक परिभाषा हमने तो सीखा और उसके दर्द को भी सहा और उसका लुत्फ उठाया, मगर याद रहा सिर्फ दर्द, और हमने उस दरवाजे पर ताला लगा दिया और चाबी कहीं रखकर भूल गए।

आज वह दरवाज़ा बरसों बंद रहने के कारण जर्जर होकर टूट चुका है। हम उस में झांकना तो नहीं चाहते, मगर वह अपना चेहरा फाटक तोड़कर बाहर हमें दिखाने चली आई है, और अब दिखता है, सब वही है, बस हमने मुखौटा चढ़ाया है वह भी महज दिखावे का‌, क्योंकि हक़ीक़त तो एक खूबसूरत चोला पहनकर खड़ी है। कभी-कभी हकीकत नजर बचाकर झांकने की कोशिश करती है। मगर “अब वो जमाना नहीं रहा” जहाॅं नतमस्तक हो जाते थे वह लोग जिनको हम पिछड़ा जमाना कहकर पीछे छोड़ना चाहते हैं।

 हम जमाने के साथ चलना चाहते हैं और जमाना हमारे साथ चले यह मुमकिन नहीं! क्योंकि भाई! हम तो अपनी दिनचर्या में कोई समझौता नहीं करेंगे, हाॅं हमारी दिनचर्या पसंद आती है तो आप चल सकते हो, नहीं तो हम तो अकेले ही काफी है खुशहाली लाने के लिए। क्योंकि “अब वो ज़माना नहीं रहा”।

 वो तो मूर्ख थे जो हजारों की भीड़ साथ लेकर चला करते थे, अब देखो हम अकेले ही उनसे ज्यादा खुश और संतुष्ट हैं। क्योंकि वो पैसे और प्यार हम पर लुटाते थे हम तो अपनी तिजोरी का वज़न हर रोज नापते हैं क्योंकि “अब वो जमाना नहीं रहा”।

आज हर बात पर एक बात निकल जाती है अब वो ज़माना नहीं रहा‌। मगर ज़रा नज़र उठा कर देखे, हवा, चाॅंद, तारे, सितारे, दिशा सब कुछ वही है, बस हमें दिखता वहीं है जो हम देखना चाहते हैं।।

– Supriya Shaw…✍️🌺


नए भारत का निर्माण

कुछ साथी सफ़र में छूट गए

Two lines motivational quotes and status

अपनी अहमियत

बेशक़ीमती हैं आप,

 ख़ुद का अहम हिस्सा है आप, 

अपनी अहमियत पहचानिए, 

अपनी जगह ना किसी को दीजिए ||

काम की कद्र

क़िस्मत भी उनका साथ देती है जो मेहनत करते हैं, 

और आगे बढ़कर काम की कद्र करते हैं।

जीना ही जिंदगी है

सुख-दुख, अच्छा-बुरा हर रंग जीवन का उभर कर आता-जाता रहेगा। 

मन की भावनाओं को व्यक्त कर, खुल कर जीना ही जिंदगी है।।

मंज़िल नहीं है दूर

सच कहते हैं सब, मेहनत करने वालो की होती नहीं हार कभी । 

सर पे सवार हो मेहनत करने का जुनून, तो मंज़िल नहीं है दूर कभी||

रूठी हुई क़िस्मत

रूठी हुई क़िस्मत कर्म से मान जाएगी। 

सूरज की तरह दमकती तकदीर बन जाएगी।।

संघर्ष बना जीवन

संघर्ष बना जीवन का अहम हिस्सा, 

जिसके बिना कोई सफलता नहीं अछूता।।

सफलता का परचम

असफलता को देख ना घबराना कभी, 

सफलता का परचम लहराना एक दिन।।

हारने मत देना

अपनी मुस्कान को कभी हारने मत देना, 

अपनी पहचान को कभी मिटने मत देना।।


प्रेरणादायक विचार

Motivational Poem

Kids Short Stories

ज़िंदगी से रू-ब-रू

“सफेद झूठ” गोरे होने की चाह में फेयरनेस क्रीम का इस्तेमाल कितना सही कितना गलत

सफेद झूठ फेयरनेस क्रीम

लड़की गोरी नहीं तो शादी नहीं होगी ?

गोरी नहीं है इसलिए नौकरी नहीं मिली ?

बॉयफ्रेंड नहीं है क्योंकि वो गोरी नहीं है ?

बॉडी तो है पर लड़का गोरा नहीं है इसलिए कोई भी लड़की दोस्त नहीं है ?

और फिर अचानक से उनका कोई दोस्त उन्हें एक ” फेयरनेस क्रीम” दे देते हैं और उसको लगाते हैं शादी भी हो जाती है, नौकरी भी मिल जाती है, लड़कों के पास लड़कियों के दोस्ती की लंबी लाइन लग जाती है,

सब कुछ संभव हो जाता है वो भी बस, एक गोरा करने वाली क्रीम से ……..

क्या आप जानते हैं भारत में रंग रूप को लेकर कितना बड़ा भेदभाव किया जाता है, खासकर लड़कियों के साथ, जिसके कारण मन में बचपन से ही हीन भावना भर दी जाती है ।और उसका फायदा उठाते हैं यह ठगी कंपनी जो गोरा करने वाली क्रीम का इस तरीके से विज्ञापन बनाते हैं कि हर कोई उस के माया जाल में फंस जाता है। और आपको ये जानकर बड़ी हैरानी होगी कि सबसे ज्यादा भारत में फेयरनेस क्रीम की डिमांड रहती है।एक गरीब से लेकर अमीर तक इसके मोह माया के जाल से अछूता नहीं है।अभी हाल ही में एक फेयरनेस क्रीम ने अपना नाम भी चेंज किया है क्योंकि उस पर यह आरोप लगा था कि ऐसा कुछ नहीं होता और क्रीम को लगाने से कोई भी गोरा नहीं होता तो ये धोखा क्यों?

जिसके बाद उस कंपनी ने अपना नाम बदल लिया…

और आपको यह जानकर हैरानी होगी की वही कंपनी 2023 में लगभग 5000 करोड़ का सालाना टर्नओवर ले लेगी एक सर्वे के अनुसार यह बताया गया है। तो आप सोच सकते हैं कि यह तो सिर्फ एक कंपनी की बात है, और भारत में तो ऐसी तमाम कंपनी भरी है

पुरुषों में भी विज्ञापनों को देख देखकर इतनी ज्यादा हीन भावना बढ़ती गई कि उन्हें भी अब गोरा होने वाली क्रीम का सहारा लेना पड़ा ।

कहते हैं उनमें से ही एक कंपनी पर एक लड़के ने मानहानि का दावा कर दिया था।

जिसके बाद कोर्ट के आदेश पर उस कंपनी ने उस लड़के को कुछ मुआवजा दिया।

अब आप समझ जाएंगे कि भारत में लोग किस कदर गोरे होने के लिए बिना उसके नुकसान को जाने बस विज्ञापनों को देखकर और उस विज्ञापन में काम करने वाले अभिनेता और अभिनेत्रियों को देखकर अंधा विश्वास कर लेते हैं।

कुछ कंपनियों के विज्ञापन तो इतनी जल्दी-जल्दी टीवी पर आते हैं कि वो सबकी जुबान में रट जाते हैं और फिर लोग उन फेयरनेस क्रीम के आदि हो जाते हैं।

फेयरनेस क्रीम के नुकसान :- सबसे बड़ा तो आपका पैसे का नुकसान है,

स्किन एलर्जी हो सकती है।

चेहरे पर दाने, एक्ने, झाइयाँ हो सकती हैं या बढ़ सकती हैं।

कई लोग बिना एक्सपायरी डेट देखें इनका इस्तेमाल करते हैं जो कि और भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है आपकी त्वचा के लिए।

अगर आपकी स्किन बहुत ज्यादा सेंसिटिव है तो बहुत अधिक फेयरनेस क्रीम का इस्तेमाल आपको स्किन कैंसर का शिकार भी बना सकता है।

तो दोस्तों ख़ूबसूरत त्वचा तो हर कोई पाना चाहता है पर इसका बिल्कुल ये मतलब नहीं है कि आप ऑंख बंद करके किसी भी फेयरनेस क्रीम पर भरोसा कर ले,

” हर रंग खूबसूरत है, जरूरत है तो खूबसूरत ऑंखों की जो वो ख़ूबसूरती देख सके”।

लेखिका: सीता वोरा

पांवटा साहिब,  हिमाचल प्रदेश

नारी

कद्र करना सिखा दिया – कोरोना का समय

मुस्कान

आधुनिक गाॅंव….एक कहानी

कविता – लो बसंत का मौसम आया

Usha Patel

संघर्ष कर

प्रेरणादायक विचार

बसंत तुम संग,

आयी है छटा बिखेरे,

मधुरस सरसों के फूल में,

फिर अमृत बोली बोल रही,

कोयलिया बगिया के आड़ से,

एक डाल पर बैठी गौरैया के,

कानों में कुछ कहना है,

ऋतु प्रेम की फिर ओढ़कर,

तुम संग गगन में वासंती होना है,

पिघल रही कसक तन की,

आयी है मौसम मनभावन,

राग उत्सव की गा रहें,

फिर चला है चाँद घर ऑंगन,

देखो उठ रही मधुमाती सुगंध,

अमवा के मोजर से,

फिर मन प्रीत जगे है,

रत जगे महुआ के डाल से,

उमड़ घुमड़ को निकल पड़े है,

युगल गंगा की घाट पर,

फिर देखो सज रहा बसंत,

नव अंकुरित फूलों की चाह पर,

ऋतु प्रेम की फिर ओढ़कर,

तुम संग गगन में वासंती होना है।।

कविता – किताबों की दुनिया

कुछ लोगों को संभाल कर रखो किताबों की तरह,

जिनमें मुसीबत के वक़्त जिंदगी के उत्तर ढूंढ सको,

जो अंधेरी रात में एक टिमटिमाते दीपक की तरह,

फिर रोशन कर सकें तुम्हारे सब ओझल रास्तों को,

तेरे उदास दिल के सामने खोल दें पेज मुहब्बत के,

जो तुम्हारे अंतर्मन में दो लफ्ज़ प्यार के घोल दें,

तुम्हारी ख़ामोशियों की जो नई आवाज़ बन सके,

तुम्हारी तन्हाइयों के रुदन में नया साज बन सके,

जो तुम्हारे दुःख में घुल सके, एक नई प्रेरणा की तरह,

जिससे संबंध हो जैसे, शरीर और आत्मा की तरह,

कुछ लोगों को संभालकर रखो किताबों की तरह,

जिनमें मुसीबत के वक़्त जिंदगी के उत्तर ढूंढ सको। 

लेखिका : उषा पटेल

छत्तीसगढ़, दुर्ग


कविता – तुम उस अनश्वर प्रेम रंग में रंगे रहो

कविता – अधूरी कहानीयाॅं एक हास्य-व्यंग्य

यह कहानी इनोसेंट प्यार वाले उम्र की है, जैसे कि हर साल सेक्शन सफल होते हैं वैसे ही इस साल हुआ, गौरव और रिया दोनों को पांचवी कक्षा में एक ही सेक्शन मिला।

दोनों पढ़ाई में बेहद अच्छे थे,

टीचर के दोनों फेवरेट्स बच्चे थे,

पहली नज़र में ही गौरव को प्यार हो गया, 

जिससे उसका सीना तोड़ फरार हो गया, 

मगर रिया को उससे कोई मतलब नहीं था,

उसका इंटरेस्ट केवल एग्जामिनेशन में पहला पोजीशन लाना था,

फिर एक दिन दोनों को टीचर ने एक साथ बैठाया,

मानों गौरव के साथ ख़ुद भगवान बैठा था,

मगर बेचारा कुछ बयां ना कर पाया, 

वह ना ही इतना हिम्मत वाला था,

हर रोज़ पढ़ाई छोड़ बस उसे निहारता गया,

और धीरे-धीरे दिल अपना हारता गया, 

बड़ी कोशिश करता था पर पढ़ाई में मन किधर लग पाता था,

टीचर्स के सामने उड़ाया कागज़ का प्लेन जब,

रिया से जा टकराया था,

टीचर्स के डाॅंट से तब वह कहाॅं बच पाया था

दिन गुजरता गया, महीने बीतते गए, 

पर वह किधर कुछ कह पाया था,

बेचारा प्यार के चक्कर में सबसे अलग डाॅंट खाया,

ऐसे ही गुज़र गए साल और एग्जाम हुई, 

वह तो कर गई टॉप, जनाब 40 पर नीलाम हुए, 

घर पर पड़ी डाॅंट स्कूल छोड़ बोर्डिंग भिजवा गया,

ठान लिए भाई साहब अब प्यार छोड़ पढ़ाई पर ध्यान लगाएंगे,

नई कक्षा, पहला दिन, ठान के गए की पढ़ाई पर ध्यान लगाएंगे,

उसकी प्यारी भोली सी सूरत से नजरें हटा अब किताबों पर टिकाएंगे,

अगला दिन था क्लास का, नज़र ना आई उसकी सूरत,

पूछा उसके दोस्तों से तो हाथ आई नई ख़बर, 

हुआ ट्रांसफर उसके पापा का, बदल लिया स्कूल,

बस उसी वक़्त रोक अपने ऑंसू को कर लिया खुद को पढ़ाई में मशगूल,

अब बहुत साल हो गए पूरा हुआ स्कूल,

दोबारा कभी उससे मुलाकात ना हुई, 

काम में मशरूफ गौरव मियां की दोबारा तो ख्यालों में भी बात ना हुई,

बस अब कभी खोले जनाब किताबे तो वह उसकी याद दिला जाती है,

जब याद वह आती है मस्तिष्क, ह्रदय उसका सब हिला जाती है,

थोड़ी फ़िल्मी लगी होगी कहानी, क्योंकि वह ऐसा ही दौर था,

बाहें खोल शाहरुख़ प्यार फैलाता चारों ओर था।।

लेखक: जसजोत सिंह

दिल्ली

प्रेरणादायक विचार

ड्राई हेयर को सिल्की करने के टिप्स

2 Lines quotes and status on life in Hindi

vishwash

विश्वास एक ऐसी कड़ी है जो हमें खुशियों से जोड़ती है। 

सब अच्छा होगा! यह भ्रम नहीं विश्वास है।।

कठिनाइयों का सफ़र है

दिल छोटा मत कीजिये कठिनाइयों का सफ़र है ज़रूर। 

हर सफ़र के रास्ते पर हमारी मंज़िल होगी ज़रूर।।

खुशियों की अभिलाषा हैं

बढ़ते है क़दम, नहीं थकते है जज़्बात मेरे, 

अनगिनत सपनों के साथ, खुशियों की अभिलाषा हैं।।

बचपन कभी दोबारा नहीं आता

बचपन कभी दोबारा नहीं आता, 

जवानी जाकर नहीं लौटती है, 

मगर जो बच्चे बचपन में ही जवान हो जाए, 

वो समय से पहले बूढ़े हो जाते हैं।।

भावनाओं की धज्जियाँ

भावनाओं की धज्जियाँ उड़ते, बिखरते देखा है। 

कईयों के गालो पर आँसू सुखते देखा है।।

बात ज़रूर कीजिए 

रिश्तों की डोर टूट ना जाए 

संपर्क बनाए रखिए।।

वो ज़िन्दगी कहाँ है

वो ज़िन्दगी कहाँ है हर कोई ढूंढता है, 

ढूंढने वालों की भी, उसका “पता” पता है, 

मगर वहाँ जाने की कोशिश, 

कहाँ कोई करता है।।

एक आदत नहीं बदलती

एक आदत नहीं बदलती 

समय के साथ जब 

वही ठीकरे बेहिसाब मिलते हैं।।

Supriya Shaw….✍️

2020 की यादें…

नारी के रूप अनेक