दिवाली पर कविता
दिवाली का त्यौहार हो और घर की साज-सज्जा सामग्री, मिठाई, पकवानों, फुलझड़ी, पटाख़ों की बातें ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता। घर के हर सदस्य में एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। जहां घर के बड़े सदस्य लक्ष्मी-गणेश की पूजा में व्यस्त होते हैं वहीं बच्चे पटाखें और फुलझड़ियाँ को महत्व देते हैं। सभी अपने अपने तरीके से दिवाली की खुशियाँ एक दूसरे में बांटते हैं। मिठाई और उपहार भेंट करने का अच्छा अवसर होता है दोस्त, रिश्तेदार, पड़ोसी एक दूसरे को उपहार और मिठाइयाँ भेंट करते है। लक्ष्मी जी की अपार अनुकंपा हम पर बनी रहे इसके लिए एक नियमित विधि विधान से पूजा होती है।
दिया जलाना है
पहला दिया विश्वास के नाम,
जिसके बिना ना बने कोई काम।
एक दिया रिश्तों के नाम,
हो समर्पण और त्याग परिवार के नाम।
एक दिया समाज के नाम,
हो कुरीतियों का विनाश।
दिया जलाएं निर्धन के नाम,
झोली में खुशियाँ भरें श्री राम।
एक दिया अंध्यारो के नाम,
रावण बन हर मन में है छुपा।
एक दिया सृष्टि के रचयिता के नाम,
मिले बराबर न्याय जहां।
हो सबकी मनोकामना पूरी
ऐसा दिया साथ जलाएं आज।
रहे अनुकंपा लक्ष्मी-गणेश की,
ऐसी आस्था के साथ दिया जलाए साथ।।
दिया जले हर धर्म का साथ
दिवाली की सफाई कुछ इस तरह से करना है,
धूल घर के साथ मन का भी साफ़ करना है,
पुराने गिले-शिकवे को दिल से दूर भगाना है,
दिल के रिश्तों की डोर से सबको बांधे रखना है,
दिये की रोशनी से घर का हर कोना जगमगाना है,
दिया जले हर धर्म का साथ, एकता हमें दिखाना है,
ईर्ष्या, द्वेष, क्लेश से दूर मानवता को करना है।।
आज है दिवाली का त्यौहार
खुशियाँ और समृद्धि का त्यौहार,
आज है दिवाली का त्यौहार,
लक्ष्मी गणेश के पूजन का त्यौहार,
कृपा बरसे एश्वर्य, धन की आज।
दिये की रोशनी से दूर हुआ अंधेरा,
हर्षित मन के साथ दिया सबने जलाया,
टिमटिमाते तारो संग धरती आज सजी,
फुलझड़ी, पटाख़ों के संग दिवाली की धूम मची।
हंसी, ठिठोली में रंजिश सब की मिट गई,
मिठाइयों की मिठास आपस में जब सबने बांटी,
मनचाहे उपहार देकर दिवाली आज मनाई,
खुशियों की सुंदर बेला आज हर घर में आई।।
– Sunita Shaw
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