Month: October 2021

दिवाली पर कविता

दिवाली पर कुछ कविताएं

दिवाली का त्यौहार हो और घर की साज-सज्जा सामग्री, मिठाई, पकवानों, फुलझड़ी, पटाख़ों की बातें ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता। घर के हर सदस्य में एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। जहां घर के बड़े सदस्य लक्ष्मी-गणेश की पूजा में व्यस्त होते हैं वहीं बच्चे पटाखें और फुलझड़ियाँ को महत्व देते हैं। सभी अपने अपने तरीके से दिवाली की खुशियाँ एक दूसरे में बांटते हैं। मिठाई और उपहार भेंट करने का अच्छा अवसर होता है दोस्त, रिश्तेदार, पड़ोसी एक दूसरे को उपहार और मिठाइयाँ भेंट करते है। लक्ष्मी जी की अपार अनुकंपा हम पर बनी रहे इसके लिए एक नियमित विधि विधान से पूजा होती है। 

दीपों से सजी दिवाली पर कुछ कविताएं :

दिया जलाना है

पहला दिया विश्वास के नाम, 

जिसके बिना ना बने कोई काम। 

एक दिया रिश्तों के नाम, 

हो समर्पण और त्याग परिवार के नाम। 

एक दिया समाज के नाम, 

हो कुरीतियों का विनाश। 

दिया जलाएं निर्धन के नाम, 

झोली में खुशियाँ भरें श्री राम।

एक दिया अंध्यारो के नाम,

रावण बन हर मन में है छुपा।

एक दिया सृष्टि के रचयिता के नाम, 

मिले बराबर न्याय जहां। 

हो सबकी मनोकामना पूरी 

ऐसा दिया साथ जलाएं आज।

रहे अनुकंपा लक्ष्मी-गणेश की, 

ऐसी आस्था के साथ दिया जलाए साथ।।

दिया जले हर धर्म का साथ

दिवाली की सफाई कुछ इस तरह से करना है, 

धूल घर के साथ मन का भी साफ़ करना है,

पुराने गिले-शिकवे को दिल से दूर भगाना है, 

दिल के रिश्तों की डोर से सबको बांधे रखना है,

दिये की रोशनी से घर का हर कोना जगमगाना है, 

दिया जले हर धर्म का साथ, एकता हमें दिखाना है,

ईर्ष्या, द्वेष, क्लेश से दूर मानवता को करना है।।

आज है दिवाली का त्यौहार

खुशियाँ और समृद्धि का त्यौहार, 

आज है दिवाली का त्यौहार, 

लक्ष्मी गणेश के पूजन का त्यौहार, 

कृपा बरसे एश्वर्य, धन की आज।

दिये की रोशनी से दूर हुआ अंधेरा, 

हर्षित मन के साथ दिया सबने जलाया, 

टिमटिमाते तारो संग धरती आज सजी, 

फुलझड़ी, पटाख़ों के संग दिवाली की धूम मची। 

हंसी, ठिठोली में रंजिश सब की मिट गई, 

मिठाइयों की मिठास आपस में जब सबने बांटी, 

मनचाहे उपहार देकर दिवाली आज मनाई, 

खुशियों की सुंदर बेला आज हर घर में आई।।

– Sunita Shaw

कुछ साथी सफ़र में छूट गए

Life Thoughts

नवरात्र में माँ दुर्गा की कविता

नव दुर्गा माँ

माता की आराधना और उपासना की कविता।

नवरात्रि का त्यौहार आते ही माता की आराधना और उपासना में पूरा ब्रह्मांड माँ के स्वागत में जुट जाते है। माना जाता है कि नवरात्रि में माँ हमारे घर आगमन लेती है और इसी वजह से हम सब अपने घर की साफ-सफाई कर माता की पूजा में जुट जाते हैं। इस अवसर पर घर के द्वार पर फूल की माला और तोरण लगाकर माता का स्वागत करते हैं और नौ दिन माता के नव रूपों का स्मरण कर उनकी आराधना करते हैं उनकी पूजा करते हैं। माता के नव रूप का जिनकी पूजा हम करते हैं उनके नाम है – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री।

माता के नव रूपों का वर्णन करती कुछ कविताएं –

नवरात्रि में पूजे भक्तजन नव दुर्गे का हर स्वरूप।

नव रूप की महिमा सुनकर नवरात्रि का त्योहार मनाए सब।।

हाथ कमल, त्रिशूल धारण ‘शैलपुत्री’ के दर्शन कर। 

योगीजन तृप्त हुए नवरात्र के प्रथम आगमन पर।।

हाथ कमण्डल, जप की माला भव्य ज्योतिर्मय बना ‘ब्रह्मचारिणी’ का स्वरूप।

करें उपासना जो जन माता की अनंत फल प्राप्त करें वह।।

अर्धचंद्र मस्तक पर शोभे, वाहन सिंह सवार रहें। 

नाम ‘चंद्रघण्टा’ का जो ले परम शांति और कल्याण मिलें।।

देवी ‘कुष्माण्डा’ के चरणों में लौकिक पारलौकिक सुख मिलें।

कर उपासना चौथे दिन माँ का भव सागर से पार करें।।

कमल आसन पर विराजमान ‘पद्मासन’ देवी की जय जय।

स्कंद कुमार की माता बनकर ‘स्कंदमाता’ का स्वरूप बना।।

अमोघ फल दायिनी माँ ‘कात्यायनी’, कात्यायन की पुत्री बनी। 

अलौकिक तेज से युक्त हुआ माता की जो आराधना किया।।

ग्रह बाधा को दूर करें दुष्टों का विनाश करें। 

माँ ‘कालरात्रि’ की आराधना सातवें दिन जो जन ध्यान करें।।

‘महागौरी’ का ध्यान करें जन माँ सबका कल्याण करें।

रोग,दोष, क्लेश मिटाकर माता सबका उद्धार करें।।

सभी सिद्धियों को पाकर ‘सिद्धिदात्री’ माता कहलाती।

करें उपासना जो भक्तजन माँ हर मनोकामना पूर्ण करें।।

नव दुर्गा माँ शक्ति जननी

नव दुर्गा माँ शक्ति जननी हर घर में आज आई है।

नवरूप के स्वागत में सगर विश्व ज्योत जलाई है।।

हर विपदा को हरने माता आज धरती पर आई है।

आंचल फैलाए रंक और राजा सब ने शीश झुकाई है।।

सबकी झोली भरने वाली सिंह पर सवार होकर आई है।

जय-जय गान करती धरती, कण-कण में उल्लास समाई है।।

ममता से सजी मुरत नव दुर्गा माँ स्वर्ग से उतर कर आई है। 

दशो भुजाओं से मानस का उद्धार करने माता आई है।।

भजन, कीर्तन, भोग आरती की थाल सबने सजाई है। 

महादेव के साथ माता आज साक्षात दर्शन देने आई है।।

Supriya Shaw

आज़ादी का दिन आया

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कोरोना काल की कविता