Month: December 2021

23 दिसंबर राष्ट्रीय किसान दिवस। राष्ट्रीय किसान दिवस क्यों मनाया जाता है?

National Farmers Day

National Farmers Day, राष्ट्रीय किसान दिवस भारत के पूर्व प्रधान मंत्री चौधरी चरण सिंह के सम्मान में हर साल बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है। तो आइए जानते हैं इस दिन को मनाने की शुरूआत महत्व व अन्य महत्वपूर्ण बातें।

भारत एक कृषि प्रधान देश हैं, यहां की आधी से ज्यादा आबादी खेती-किसानी करती है। क्योंकि भारत मुख्य रूप से गांवों की भूमि है और गांवों में रहने वाली अधिकांश आबादी किसानों की है और कृषि उनके लिए आय का प्रमुख स्रोत है। किसान जब खेत में मेहनत करके अनाज उपजाते है तभी वह हर भारतीय के थालियों तक पहुंच पाता है। ऐसे में किसानों का सम्मान करना हमारा कर्तव्य बनता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए 23 दिसंबर पूर्व प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर हर साल किसान दिवस मनाया जाता है।

चौधरी चरण सिंह के आकर्षित करने वाले व्यक्तित्व और किसानों के पक्ष में विभिन्न लाभकारी नीतियों ने जमींदारों और धनियों के खिलाफ भारत के सभी किसानों को एकजुट किया। उन्होंने भारत के दूसरे प्रधान मंत्री द्वारा दिए गए प्रसिद्ध नारे जय जवान जय किसान का पालन किया।

पूर्व प्रधानमंत्री को याद करने के अलावा इस दिन राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में किसानों के महत्व के बारे में लोगों को जागरुक किया जाता है। वो किसानों के नेता माने जाते रहे हैं। उनके द्वारा तैयार किया गया जमींदारी उन्मूलन विधेयक राज्य के कल्याणकारी सिद्धांत पर आधारित था। एक जुलाई 1952 को यूपी में उनके बदौलत जमींदारी प्रथा का उन्मूलन हुआ और गरीबों को अधिकार मिला। उन्होंने लेखापाल के पद का सृजन भी किया। किसानों के हित में उन्होंने 1954 में उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून को पारित कराया।

किसानों के प्रति उनका प्रेम इसलिए भी था क्योंकि चौधरी चरण सिंह खुद एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे और वह उनकी समस्याओं को अच्छी तरह से समझते थे। राजनेता होने के साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री एक अच्छे लेखक भी थे।

पंजाब और हरियाणा में विकसित 60 के दशक के दौरान हरित क्रांति ने देश की कृषि तस्वीर को बदल दिया। इससे उत्पादकता में वृद्धि हुई और इस तरह भारत विभिन्न कृषि वस्तुओं में आत्मनिर्भर हो गया।

जब वे 1979 में भारत के प्रधान मंत्री बने तो उन्होंने किसानों के जीवन में सुधार के लिए कई बदलाव किए। यह एक दिलचस्प तथ्य भी है कि भारत के प्रधान मंत्री के रूप में चौधरी चरण सिंह ने कभी भी लोकसभा का दौरा नहीं किया।

किसान दिवस कैसे मनाया जाता है।

इस मौके पर पूरे देश में स्कूलों, कॉलेजों और संस्थानों में तरह-तरह के कार्यक्रमों, प्रतियोगिताओं, चर्चाओं और प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता है।

इस दिन सरकार भारत के किसानों और विभागीय कृषि विज्ञान से संबंधित कई कार्यक्रम, सेमिनार और चर्चा का आयोजन करती है।

कृषि विभाग के अधिकारी और कृषि वैज्ञानिक गांवों का दौरा करके किसानों और उनसे संबंधित मुद्दों को समझने और उनके कृषि उत्पादन को बचाने के लिए कृषि तकनीकों और विभिन्न प्रकार के बीमा योजनाओं के बारे में समाधान और जानकारी प्रदान करते हैं।

चौधरी चरण सिंह को मिट्टी का पुत्र माना जाता है जो किसानों के समुदाय से संबंधित हैं। राष्ट्रीय किसान दिवस एक स्वतंत्र और मजबूत भारतीय किसान का सम्मान है।

By – Vikash Kumar
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गिन्नौरगढ़ की गोंड रानी कमलापति का इतिहास
उत्तराखंड की ऐपण कला
हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन बना

हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन बना

रानी कमलापति स्टेशन

हबीबगंज स्टेशन जो कि मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की शान है। 15 नवंबर 2021 को उस स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन रखा गया है।

भोपाल की ख़ूबसूरती में आज वर्ल्ड क्लास रानी कमलापति रेलवे स्टेशन का नाम भी जुड़ चुका है। यात्रियों की ज़रूरतों  को देखते हुए हर प्रकार की सुविधाओं को प्रदान करने की कोशिश की गई है। 

कैसे बदला हबीबगंज स्टेशन का नाम रानी कमलापति स्टेशन 

हबीब मियां जो भोपाल के नवाब थे उन्होंने 1970 में स्टेशन के नाम पर अपनी ज़मीन दान में दी थी, ताकि वहां रेलवे स्टेशन का विस्तार हो सके। 1979 में हबीबगंज स्टेशन का निर्माण कार्य हुआ था। दरअसल हबीब का मतलब होता है ख़ूबसूरत और प्यारा। हरियाली और झिलो के बीच बसा यह गांव भोपाल की ख़ूबसूरती को बढ़ा देता है। इसकी ख़ूबसूरती को देखते हुए भोपाल के नवाब की बेगम ने इस गांव का नाम हबीबगंज रखा था। 

आज उसी स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन रखा गया है। जिसका उद्घाटन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के हाथों 15 नवंबर को हुई हैं।

15 नवंबर महान स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा जी के जयंती पर रानी कमलापति रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया गया है।

और इसी के साथ हबीबगंज स्टेशन (नया नाम) रानी कमलापति रेलवे स्टेशन का कोड RKMP रखा गया है।

इस स्टेशन की सबसे ख़ास बात यह है कि यह पूरा सौर ऊर्जा से चलेगा। और यहां पर यात्रियों की सुविधाओं का ख़ास ध्यान रखा गया है। 

सीहोर जिले के सलकनपुर रियासत के राजा कृपाल सिंह सरौतिया की पुत्री का नाम रानी कमलापति था। रानी कमलापति बचपन से ही बुद्धिमान थी। कमलापति की बुद्धिमता और पराक्रम को देखते हुए राजा कृपाल सिंह ने उन्हें अपने राज्य का सेनापति घोषित किया था। 

भोपाल से लगभग 55 किलोमीटर दूर 750 गांवों को मिलाकर गिन्रौरगढ़ रियासत था यहां के राजा सूराज सिंह शाह के बेटे निजाम शाह से ही रानी कमलापति की शादी हुई थी।

रानी कमलापति गिन्नौरगढ़ रियासत की अंतिम गोंड रानी थी। माना जाता है कि अपनी बुद्धिमता, वीरता और पराक्रम के बल पर उन्होंने कई उत्कृष्ट कार्य किए थे। मंदिरों की स्थापना और उद्यान के क्षेत्र में उन्होंने कार्य किए थे। माना जाता है कि रानी कमलापति ने अपनी इज़्ज़त की रक्षा के लिए जल समाधि ले ली। ऐसी वीरांगना के नाम पर आज हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन रखा गया है। आदिवासी समुदायों में से सबसे बड़ा गोंड समुदाय है। और 18 वीं सदी की गोंड साम्राज्य की आखरी शासिका थी रानी कमलापति।