Month: February 2022

प्रेम विरह कविता हिंदी

©Alfaj_E_Chand (Moon)

वो ग़ुलाब जो दिया था उसने हमें

वो ग़ुलाब जो दिया था उसने हमें, 

हमारी पहली मुलाक़ात पर, 

जिसे छिपाया था मैनें सबकी निगाहों से, 

अपने डायरी के पन्नों के बीच, 

 सूख गये हैं अब वो, 

उन पन्नों के बीच दबे – दबे, 

पर अब भी आती है उससे वही महक, 

जो महक समाये हुए थी उसमें उस वक़्त, 

जब वो छिपाये हुए थी अपने अंदर, 

भरकर मुहब्बत के रंगों के साथ,

अपने सुंदरता अलौकिकता का सारा खज़ाना, 

दिलाती है जो अब भी हमें, 

मीठी यादें उन लम्हों की, 

जिन लम्हों की थी बनी वो साक्षी, 

और बिखेर देती हैं मेरे चेहरे पर, 

एक बार फिर वहीं मुस्कान, 

जो मुस्कान मेरे चेहरे पर आयी थी, 

पाकर उसे उस वक्त,

और कर देती है एक बार फिर, 

जोरों से हृदय स्पंदित मेरा उसकी याद में,

और पाती हूँ मैं ख़ुद को रंगी हुई एक बार पुन:,

उसकी मुहब्बत में, 

ठीक वैसे ही जैसे “राधा” “श्रीकृष्ण ” के प्रेम में, 

और “श्रीकृष्ण” “राधा ” के प्रेम में,

जो सदैव पास होकर भी दूर रहें, 

और दूर होकर भी सदैव पास रहें, 

एक – दूसरे के, 

ठीक वैसे ही मैं और वो है॥ 

जो जा रहें हैं छोड़कर

जो जा रहें हैं छोड़कर, जाने दो  उन्हें; रोको नहीं,

ज़बरदस्ती अपनी मर्ज़ी उनपर तुम कभी थोपो नहीं।। 

 हाँ, बार – बार तेरे कहने से हो सके शायद रूक तो जायेंगे,

पर पहले की भांति….

शायद फिर से वो दिल से रिश्ता संग तेरे निभा ना पायेंगे।। 

ऐसी स्थिति में….

शायद ना तो तुम पूरी तरह से ख़ुश रह पाओगे,

और ना ही वो पूरी तरह से कभी ख़ुश रह पाएंगे।।

दोनों ही…. 

अवसादों और निस्पंद ख़ामोशियों के साये में, 

अपना – अपना कीमती वक़्त बितायेगे।। 

खुशियाँ भी देगी जो दस्तक….

ऐसे उधेड़बुन वाले रिश्तों के दरवाज़े पर;

संपूर्णता के लिबास में लिपटी ना होगी कभी।। 

बदलते वक़्त, बदलते हालात भी,

पहले जैसे उन रिश्तों को मजबूती दे ना पायेगें,

अपने साध्वस को….

किसी -न- किसी कसक के साये तले,

एक-दूजे की निगाहों से हर वक़्त ही छिपाते नजर आयेंगे।। 

जो जा रहें हैं छोड़कर, जाने दो  उन्हें रोको नहीं,

ज़बरदस्ती अपनी मर्ज़ीट उनपर तुम कभी थोपो नहीं।। 

कह दिया अलविदा

कह दिया अलविदा हमेशा के लिए, 

उसका जीवनसाथी, 

अपने भरन -पोषण के लिए नहीं गवारा समझा, 

किसी और पर निर्भर होना, 

चुनी राह अपनी बनने आत्मनिर्भर,

किया नही उसने समझौता परिस्थितियों से, 

अपने स्वाभिमान के खातिर, 

लड़ती रही डटकर लगातार, 

खटकती है वो, 

इसलिए कुछ लोगों की आँखों में,

बस उनके अंतस में बैठे इस डर से, 

कहीं वो निकल जाये ना आगे, 

इस पुरुषप्रधान समाज में,

और बना ना ले कहीं,

 वो अपनी एक अमिट सम्मानीय पहचान, 

देने ना लगे सब उसकी मिसालें, 

करने ना लगे समस्त स्त्री जाति अनुकरण उसका,

आ ना जाये कहीं जिससे पुरुष सत्ता खतरे में,

करते हैं संबोधित जिस कारण ही वही लोग, 

उन कलुषित शब्दों से, 

जो व्याख्या करती नहीं उसके सही व्यक्तित्व को, 

पर उसे पड़ता नहीं फर्क उन दूषित शब्दों से, 

सताता है भय,

क्योंकि डरती नहीं वो,

दुनियावालों की झूठी नापाक चोचलेबाजी से,

इसलिए कि जानती है वो, 

तर्क की कसौटियों पर कसे जायेंगे,

जब विचार उसके,

तब वो उतरेगी खरी शत – प्रतिशत, 

फिर भी वो चाहती नहीं बहस में पड़ना,

उनलोगों के साथ, 

क्योंकि जानती है वो, 

जगाया उसे ही जा सकता है जो सोया हुआ है, 

उसे नहीं जो सोने का नाटक कर हो ||

— ©Alfaj_E_Chand (Mood) ✍✍

Insta id — @alfaj_e_chand

“यूपी में का बा?” गीत नेहा सिंह राठौर

आपकी सोच में ताकत व चमक होनी चाहिए

मुंबई ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने आखिरी सांसे ली

लता मंगेशकर
फोटो गूगल सर्च से लिया गया है

6 फरवरी 2022 को भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने मुंबई स्थित ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में अपनी आखिरी सांसे ली।

28 सितंबर 1929 से 6 फरवरी 2022 तक का सफ़र – 

लता जी का जन्म 28 सितंबर 1929 में इंदौर मध्यप्रदेश में हुआ था। उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर थे। वह भी एक कुशल रंगमंच गायक थे।

स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने अपने जादुई और मनमोहक आवाज़ में 25 भाषाओं में गाना गाया है।

 इनकी छवि एक पार्श्व गायिका के रूप में प्रसिद्ध रही है। उनकी सुरीली आवाज़ में वह जादू है जिसको सुनकर जाने कितनों की आंखों में आंसू आ जाते, तो कितने मन मुग्ध होकर खो जाते, वहीं सरहद पर बैठे जवानों को हौसला मिल जाता, तो कहीं किसी की ख़ुशी का कारण बन जाता है।  किसी ना किसी तरह उनकी आवाज़ दिल को छू लेने वाली आवाज़ है।

लता मंगेशकर के संघर्ष के दिन

सफ़लता आसान नहीं होती है हर किसी के लिए, उनके लिए भी संघर्षपूर्ण रही। लता जी को भी अपने शुरुआती दिनों में कई संगीतकारों ने उनके पतले आवाज़ की वज़ह से गाने से मना कर दिया करते थे। उनकी तुलना प्रसिद्ध पार्श्व गायिका नूरजहां के साथ की जाने लगी थी। लेकिन अपनी मेहनत और काबिलियत के बल पर लता जी को अपार सफ़लता मिली और उनकी गायकी को फिल्म जगत में एक मज़बूत स्थान मिला। 

सफ़लता के दिन

लता जी की प्रतिभा को 1947 में पहचान मिली, जब वह फ़िल्म ‘आपकी सेवा में’ उन्होंने गीत गाया था। उसे लोगों ने बहुत सराहा और फ़िर एक के बाद एक कई फ़िल्मों में उन्हें गाने का मौका मिलता चला गया। 

लता जी ने 25 भाषाओं में 50,000 से भी ज़्यादा गाना गाए हैं। उन्होंने बड़े-बड़े संगीतकारों के लिए गाना गाया है। एस डी बर्मन, मदन मोहन, अनिल विश्वास, शंकर जयकिशन, नौशाद, सी रामचंद्र, सलिल चौधरी, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल जैसे सभी संगीतकारों ने उनके काम को सराहा है और उनके लिए अनेकों गाने लता जी ने गाए हैं। लता जी ने 712 गाने संगीत निर्देशक लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के लिए गाए हैं।

लता जी को अनगिनत अवार्ड, पुरस्कार, सम्मान मिले हैं। जिसकी एक छोटी सी सूची नीचे दी हुई है।

1994 में, फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला

2008 में, भारत की आजादी के 60 वीं वर्षगांठ स्मृति के दौरान “लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड” से सम्मानित किया गया।

भारत सरकार पुरस्कार

1969 में, पद्म भूषण से सम्मानित

1989 में, दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित

1999 में, पद्म विभूषण से सम्मानित

2001 में, भारत रत्न से सम्मानित

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार

वर्ष 1972 में, फ़िल्म परिचय के गाने के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका

वर्ष 1974 में, फ़िल्म कोरा कागाज़ के गाने के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका

वर्ष 1990 में, फ़िल्म लेकिन के गाने के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका

फिल्मफेयर पुरस्कार

1959 में,  “आजा रे परदेसी” (मधुमती) के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका 

1963 में, गीत “कहीं दीप जले कहीं दिल” (बीस साल बाद) के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका 

1966 में, गीत “तुम्हीं मेरे मंदिर, तुम्हीं मेरी पूजा” (ख़ानदान) के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका 

1970 में, गीत “आप मुझे अच्छे लगने लगे” (जीने की राह) के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका 

1995 में, गीत “दीदी तेरा देवर दिवाना” (हम आपके हैं कौन) के लिए फिल्मफेयर विशेष पुरस्कार 

इनके अलावा भी उन्हें कई अन्य पुरस्कार, सम्मान, उपलब्धियां है।

लता जी के प्रसिद्ध फिल्मों के गाने

उन्होंने जिन प्रसिद्ध फ़िल्मों में गाना गाए हैं उसमें दो आंखें बारह हाथ, मदर इंडिया, बरसात, दो बीघा ज़मीन, मुगल-ए-आजम, महल, एक थी लड़की, जंगली, मधुमति, बीस साल बाद, ख़ानदान, जीने की राह, हम आपके हैं कौन, ऐसे कई फिल्मों को अपनी आवाज़ देकर लोकप्रिय फिल्म बनाई है। उनकी आवाज़ के दीवाने कल भी थे आज भी हैं और सदा रहेंगे। उनका यह गाना – रहे ना रहे हम

सच है वह रहें या ना रहें उनकी आवाज़ हमेशा हम सब की धड़कनों में ज़िंदा रहेगी।

23 दिसंबर राष्ट्रीय किसान दिवस

गिन्नौरगढ़ की गोंड रानी कमलापति का इतिहास

‘यूपी में का बा!’ और ‘यूपी में सब बा’ गाने की चर्चा हर तरफ़ हो रही है

‘यूपी में का बा!’ और ‘यूपी में सब बा’ गाने की चर्चा हर तरफ़ हो रही है। मगर जो बात ‘यूपी में का बा!’ में दिखाई दें रहीं है।

वो ‘यूपी में सब बा’ या  ‘यूपी में बाबा है… यूपी में बा… बा,  में भी वो बात नहीं दिखाई दें रहीं है।

“यूपी में का बा?” गीत गाकर और जिस ज़िंदादिली से अनेकों न्यूज़ चैनल और रिपोर्टरों के सामने आकर “यूपी में का बा – पार्ट 2”  बनाने का जोश नेहा सिंह राठौर ने दिखाया वह काबिले तारीफ़ है। 

सोशल मीडिया पर ‘यूपी में का बा’  गीत के लिए ट्रोल की जा रहीं नेहा सिंह राठौर ने ‘यूपी में का बा! पार्ट 2’ बनाकर इतना तो ज़रूर बताया है कि जनता उनके साथ है। कई न्यूज़ चैनल  में उन्हें इतना तक कहते दिखें कि आपके गीत के हर शब्द कहीं ना कहीं सत्य है। इसलिए हम आपके साथ हैं और उनके गाने को बार-बार अपने चैनल पर दिखा रहें हैं। उनके इंटरव्यू को BBC News Hindi, इंडिया टीवी, news24, News talk जैसे कई चैनल पर देख सकते हैं। 

उनके ‘यूपी में का बा’  इस गीत को हर न्यूज़ चैनल पर हम देख सकते हैं। सुन सकते हैं कि इस गाने के बोल कहीं भी ऐसे नहीं है जिसकी वज़ह से नेहा सिंह राठौर को इतनी ट्रोलिंग की मार सहनी पड़े। इसलिए उनकी बात कितनी सच कितनी झूठ है यह हम सब जानते हैं।

लेकिन अब वहीं ‘यूपी में सब बा’ रवि किशन की आवाज़ में हम सब सुन सकते हैं। उसके लिए ट्रोल की मार खाने की नौबत नही आएगी। 

वैसे नेहा सिंह राठौर के हर गीत में समाज के लिए एक संदेश दिखता है। गरीबी, बेरोज़गारी, नई दिशा, दोहरे चेहरे का सच, रीति और कुरीतियों के साथ अपनी सभ्यता और संस्कृति का एक नया रूप दिखता है नेहा सिंह राठौर के गाने में। 

आज लोग उनके साथ हैं इसलिए वह ‘यूपी में का बा’ के बारे में कहती है, अभी तो यह शुरुआत है! अभी तो इसके पार्ट 3, पार्ट 4, पार्ट 5 आते ही रहेंगे, मैं किसी से डरने वाली नहीं हूं।

और वाकई में अगर एक गीत के बोल पर इतनी ट्रोलिंग हो तो रुकना नहीं चाहिए नेहा सिंह राठौर को। उनका फ़ैसला बिल्कुल सही है। वो अपने शब्दों को कहीं भी कमज़ोर ना पड़ने दें। हमारी यही कामना है। 

और आख़िरी में एक और गायिका का भी जिक्र करूंगी जो गा रही हैं ‘यूपी में बाबा है यूपी में बाबा’! अब बस इतना ही। 

गिन्नौरगढ़ की गोंड रानी कमलापति का इतिहास

23 दिसंबर राष्ट्रीय किसान दिवस। राष्ट्रीय किसान दिवस क्यों मनाया जाता है?