Month: September 2022

सफेद बालों को काला करने के घरेलू उपाय

hair problem
Image by pixabay

सफेद बाल हो जाएंगे पूरी तरह काले अगर हम इन पत्तों का इस्तेमाल सही तरीके से करें,

महंगें प्रोडक्ट की जगह इन पत्तों का इस्तेमाल करें, इनका लेप लगाएं और जल्द से जल्द सफ़ेद बालों की समस्या से छुटकारा पाएं।

अक्सर देखा जाता है असमय हमारे काले बाल सफ़ेद दिखने लगते हैं, और जिसका कारण पता भी नहीं चलता कितनी जल्दी क्यों हमारे बाल सफेद हो रहे। आजकल तो कम उम्र के बच्चों में भी यह समस्या देखे जा रहें हैं काले बालों के बीच में कुछ सफ़ेद बाल अचानक ही दिखने लगते हैं। थोड़ी सी लापरवाही और थोड़ी सी केयर नहीं करने की वज़ह से ऐसा हो जाता है। तो चलिए कुछ घरेलू नुस्खे मैं बताती हूं जिसको आप इस्तेमाल करके दो-तीन महीने के अंदर फ़र्क भी महसूस कर सकती हैं।

Curry leaf

करी पत्ता  – करी पत्ता हर जगह मिलता है और बहुत सस्ता भी है, बस इन पत्तों को पीसकर इनका लेप बनाना है, और उसे बालों पर अच्छी तरह लगाना है बालों की जड़ से लेकर बालों के ऊपर अच्छी तरह उसका लेप लगा ले और एक घंटा डेढ़ घंटा आप उसे वैसे ही रहने दें, फिर उसे पानी से धो ले। बाल सूखने के बाद उसके ऊपर आप तेल लगा ले।  ऐसा आप हफ्ते में दो बार या एक बार भी करेंगे तो बहुत फ़ायदा होगा। कुछ ही समय के बाद आप देखेंगे बालों का सफ़ेद होना रुक गया है और जो सफ़ेद बाल थे वे काले भी हो रहे हैं। 

नारियल का तेल और करी पत्ता  – नारियल के तेल में करी पत्ता डालकर अच्छी तरह गर्म कर लें। उसे तब तक गर्म करें जब तक करी पत्ते की नमी ना चली जाए। जैसे ही पत्तों की नमी चली जाए, पत्ते तेल के अंदर अच्छी तरह अपना असर छोड़ देते हैं। आप देखेंगे कि तेल का रंग भी बदल गया है हल्का हरे रंग का वह तेल हो जाएगा। आप उस तेल को ठंडा करके किसी जार में घर पर रख सकते हैं, यह तेल लंबे समय तक खराब नहीं होगा और उसे समय-समय पर सप्ताह में कम से कम एक या दो बार उसका मसाज करें, इससे भी आपके सफ़ेद बालों को काला करने में मदद मिलेगी।

नींबू के रस में आंवले का चूर्ण – नींबू के रस में भी आंवले का चूर्ण मिलाकर एक अच्छा लेप बना सकते हैं और इसको सप्ताह में एक बार लगाने पर और उसे कम से कम एक घंटा बालों पर रहने दें। उसके बाद उसे धो लें। ऐसा करने से भी बाल जल्दी सफेद नहीं होते हैं और जो सफेद बाल है वह जल्दी काले भी हो जाते हैं।

इन सब घरेलू उपाय से बहुत जल्दी ही सफेद बाल काले हो जाते हैं और दूसरा अगर हमारे सफेद बाल नहीं भी है तो वह जल्दी सफ़ेद नहीं होंगे। एक लंबे समय तक हमारे बाल काले और घने रहेंगे। इन सब उपायों को अपनाकर हम उन महंगे प्रोडक्ट्स से बच सकते हैं जो बाजार में मिलते हैं और उनका असर इतना नहीं होता जितना इनके इस्तेमाल से होता है।

– Usha Patel

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कविता – पतंग हूँ मैं, दुनिया

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पतंग हूँ मैं

   पतंग हूँ मैं

उड़ना चाहती हूँ में

जीवन के सारे

रंग समेटे

उड़ती हूँ तलाश ने

अपना एक मुठ्ठी आसमान। 

चाहती हूँ बस

कटने ना दोगे कभी

कट भी जाऊँ

दुर्भाग्य से तो

लूटने न दो कभी

सहेज लोगे 

प्यार का लेप लगा। 

बाॅंध लोगे फिर मुझे

एक नये धागे से

प्यार और विश्वास के

लेकिन डोर है ज़रूरी 

मांजा सूता, 

तो कटूंगी नहीं,

कोशिश करती हूँ

जीवन सहज हो

ढील भी देनी होगी

कभी-कभी

सदा खींचकर न रख पाओगे मुझे

खुशियों की उड़ान देख मेरी

जानती हूँ

खुश हो जाओगे तुम भी

भूल जाओगे खुशी देख मेरी

हाथ कटने का 

गम भी ना होगा …! 

दुनिया..

कभी सांझ बनेगी दुनिया

कभी दोपहरी में ही सिमट जायेगी। 

कभी पनघट तक आयेगी दुनिया

कभी चौखट से लौट जायेगी। 

कभी इशारे में कह जायेगी दुनिया

कभी इशारों से ही लूट ले जायेगी। 

कभी बनकर घटा बरस जायेगी दुनिया

कभी रेत सी फिसल जायेगी। 

कभी फूल सी महक जायेगी दुनिया

कभी कांटा बनकर चुभ जायेगी। 

कभी रहबर बनकर आयेगी दुनिया

कभी पैरों की बेड़ियां बन जायेगी। 

कभी दूर तलक ले जायेगी दुनिया

कभी रस्म रिवाजों में बंध जायेगी। 

कभी रोशन दिये सी आयेगी दुनिया

कभी तोड़कर सारे सपने चली जायेगी। 

जब भी जिंदगी के आगोश में आयेगी दुनिया

नये रंग, ढंग, रूप दिखलायेगी….। 

ये साल सदा याद रहेगा, जब तक जीवन है।।

शुरुआत तुम्हारी अच्छी थी,

जश्न भी हुआ, पार्टी भी की,

होली के रंगो में भी भीगे थे हम,

कोरोना आने से तुम्हारा कोई दोष नहीं,

तुमने वो कर दिखाया जो किसी ने नहीं किया,

सबको परिवार के साथ मिला दिया,

घर में परिवार के प्यार को मजबूत किया,

दूर रहने में ही भलाई है सबसे, 

संदेश ये सबको दिया.. 

घरका खाना सिखा दिया,

तुमसे ही तो सीखा ज़िंदगी को जीना,

तुमने ही तो लोगों को दिखाई सच्ची असलियत है,

तुमसे भी हमें बाकी सालों जैसी मुहब्बत है,

बुरा तो वक़्त था, पर साल यूं ही बदनाम हुआ,

कुछ अच्छा तो कुछ बुरा बनके आया ये साल,

पर क़ैद कैसी होती है सीखा गया हमें,

कुछ बुरा था कुछ अच्छा,

बंद घरों में क़ैद होकर पिंजरे का दर्द जाना,

करीब आ गया परिवार, फोन बन गए दोस्त,

आना जाना नहीं हुआ, मिली ये कैसी फुर्सत,

ये साल सदा याद रहेगा, जब तक जीवन है,

कोई ना सिखा सका, वो ये वक़्त सिखा गया,

2020 तुमसे भी हमें बाकी सालों जैसी ही मुहब्बत है,

अपनो को खोया, अपनो को मिलाया,

नौकरियाँ गयी, पढ़ाई रुक गयी, खाने के लाले पड़े

कुछ अच्छा तो कुछ बुरा था,

ये इतना भी बुरा नहीं है,

ये साल सदा याद रहेगा, जब तक जीवन है।।

उषा पटेल

लेखिका : उषा पटेल

छत्तीसगढ़, दुर्ग

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