आँखें बंद करके
वह पल दोहरा लेती हूँ
ज़िंदगी जीने की
वज़ह ढूंढ लेती हूँ
हर ख़्वाब को
हक़ीक़त बना कर
ज़िंदगी में शामिल कर लेती हूँ
ज़िद समझो शायद
पर कोशिश है मेरी
हर किरदार को निभाने का
हुनर ढूंढ लेती हूँ
जुगनू नहीं मैं
जो कुछ पल की रोशनी दे
दम तोड़ देती है
मैं वो सितारा हूँ
जो अपनी रोशनी से
ख़ुद जगमगाती हूँ।।
By – Supriya Shaw…