आवाज़ जब दिल से निकले,
मूक बन हर शख़्स देखता है।
ना प्रश्नचिन्ह, ना संदेह,
जब गूंज बन मिलो तक पहूँचता है।
हर कोई साथ चल देता है,
मुश्किलों का सफ़र मुस्कुराकर कट जाता है।
तपिश बन बरसे पहर कोई,
हर पहर वो आवाज़ ना विमुख होने देता है।।
– Supriya Shaw…