चाय के कप में केवल
चाय ही नहीं होती,
“चाह” होती है
साथ बैठने की!
जिंदगी तू मुझे,
चाय की तरह लगती है,
कभी बहुत मीठी,
कभी फीकी,
कभी बहुत कड़वी लगती है।।
रिश्ते भी चाय
चाय की तरह होते है
ज़्यादा मीठी
ज़्यादा कड़क हो जाए
तो गले से
नहीं उतरते हैं।।
कहाँ रह गए तुम,
यह शाम थी कुछ ख़ास,
चाय की एक प्याली है,
जो बांटनी थी तुम्हारे साथ।।
सिर्फ एक चाय ही है
जो बिन बुलाए
बिना बात के
बिना समय
बेवजह
मुझे खींच लेती है
वरना और किसी में
वो बात नहीं
जो तेरी एक घूंट में
मिल जाती है!
याद बहुत आती है,
वह सांझ की बेला,
सुबह की लाली,
चाय बिना ना,
बात बनती थी मेरी।।
शाम की बेला
चाय की प्याली
होठों की मुस्कान
कैसे मैं रोकू…😊
चाय के बहाने
चाय के बहाने हम मिलते रहे,
हॅंसी की मिठास रिश्तो में घोलते रहे,
जुगलबंदी पानी और चायपत्ती की होती रही,
हम चाय के बहाने तारों को देखते रहे।।
सर्दियों में चाय की प्याली देख,
कभी ना नहीं कर सकते हैं हम।
– Supriya Shaw….✍️
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