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स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त पर बाल कविता

15 अगस्त 2021 को भारत देश की स्वतंत्रता को पूरे 75 साल पूरे हो जाएंगे। उन वीरों को हम नमन करें, स्वतंत्रता दिवस पर बाल कविता हिंदी में ।

आज़ादी की लहर

आज़ादी की लहर

आज़ादी का परचम तब लहराया था, 

जब अनगिनत माताओं के लाल ने रक्त बहाया था।

हर रक्त का एक-एक क़तरा आज बना वरदान है, 

आज़ादी की हर साँस पर उनकी कुर्बानी का नाम है।

गाथाएं सुर वीरो की जब-जब दोहराई जाएगी, 

जाने कितने वीरो के सीनो में देशभक्ति की ज्योत जलेगी।

अमर शहीद भगत सिंह जैसे वीरो की कहानी, 

हर बच्चो के सीने में हर रोज दोहराई जाएगी। 

अमर रहेंगे हरदम ये तिरंगे से इनकी याद जब आएगी,

आज़ादी की लहर बनकर सबकी नज़रें तिरंगे पर ठहर जाएगी।।

भारत मेरी शान

भारत मेरी शान

भारत मेरी शान, जीवन मिला वरदान, 

कृतज्ञ हम उन सुर वीरों की, 

आज़ादी का परचम जिन्होंने लहराया है।

अमर रहेगा नाम उनका, 

हर भारतवासी के सीने में।

बच्चे बूढ़ों की ज़ुबानी उनकी गाथाएं दोहराएंगे, 

आने वाले हर पीढ़ी को ये सबक ज़रूर सिखाएंगे।

मेरा वतन

मेरा वतन

जहां है शांति और अमन का राज, 

जहां चारों धाम का होता मिलाप, 

बसते जहां हर धर्म के वासी, 

हर भाषा का अनोखा मेल होता जहां,

वह है मेरा वतन।।

गंगा, जमुना, सरस्वती का अनोखा संगम होता जहां, 

मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे का दर्शन साथ करते यहां, 

तुलसी, कबीर, सूरदास जैसे अनगिनत कवियों की,

कविताओं में रचा बसा मिलता मेरा वतन, 

खेत खलियानों से सजी-धजी, 

धरती उपजाऊ मिलती जहां, 

वह है मेरा वतन।।

Supriya Shaw….

कोरोना काल की कविता

कविता – पिता का दायित्व

रक्षाबंधन पर हिंदी कविताएं

छुटकी अपने भाई की

रक्षाबंधन पर हिंदी कविताएं

छुटकी अपने भाई की, थाल सजाएं राखी की, 

प्यार और स्नेह से, ली बलाएं भाई की।

चंदन, रोली, हल्दी का, तिलक लगाई माथे पर, 

आरती लेकर राखी बांधी, भाई की कलाई पर।

भाई का स्नेहिल मन, भाव विभोर हो उठा,

बहना का उत्साह देख, ममता से भर गया ह्रदय।

भाई प्यार का तोहफ़ा देकर, बहना का मान किया, 

सर पर हाथ रख कर छुटकी को, सौ सौ बार आशीर्वाद दिया।

भाई बहन का प्यार, कभी ना कमज़ोर होने देता,

कच्चा है यह धागा, प्रेम के जज़्बातो से गहरा हुआ।

मेरी प्यारी बहना

मेरी प्यारी बहना

यह रक्षा-बंधन का त्यौहार, 

कभी ना भूलूंगा मैं, 

जहां रहूँ जिस हाल में रहूँ,

इस दिन आकर राखी बंधवा लूंगा,

वचन है आज के दिन का, 

कभी ना होगा प्यार कम, 

चाहे ज़िंदगी में आ जाए कोई गम।

शक्ति कच्चे धागे की राखी

शक्ति कच्चे धागे की राखी

कच्चे धागे का यह रिश्ता, प्रेम, स्नेह से बना है,

हर रिश्ते से प्यारा, भाई बहन का रिश्ता बना है।

राखी के दिन भाई की, याद आ जाती है,

वो दूर मुझसे है, सोच कर आंखे भर आती है।

भाई-बहन का प्यार

भाई-बहन का प्यार

अटूट बंधन से बंधा रहे, भाई-बहन का प्यार, 

हर बहन मांगे इस दिन, दुआ हजारों बार।

कच्चे धागे की डोर, कभी ना हो कमज़ोर,

लेती वचन उम्र भर का, रक्षा करने की भाई से।

मोटिवेशनल कोट्स और स्टेटस

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ज़िंदगी जीने के लिए मिली है, खुल कर जियो, 

व्यर्थ की बातों में समय ना गवाओ, 

खट्टी – मीठी बातें जीवन का हिस्सा है, 

उनको समझो ख़ुद को उनका हिस्सा बनाओं।।

ज़िंदगी के भवर में उलझ कर 

रह जाना आसान है। 

हर उलझन को अपना बनाकर जो जी ले, 

वही ज़िंदादिल इंसान है।

आलोचकों से अच्छा कोई मार्गदर्शक नहीं, 

साथ उनका कभी ना छोड़ना।

जितना रहे वो पास हमारे, 

सफ़लता मिलती रहेगी हज़ार बार हमें।।

परिश्रम और समर्पण से, कर्म का बीज जितना बोयेंगे।

यह धरती है कर्मभूमि, फ़सल उतना ज़रूर काटेंगे।।

इस दुनिया में और मुझ में फर्क सिर्फ़ इतना है, 

दुनिया मुझे समझे ना समझे मैं दुनिया को समझना चाहती हूँ।।

कोशिश करना कभी मत छोड़ो, हार-जीत खेल है ज़िंदगी का।

गिरना गिरकर फ़िर उठ जाना, यही जीवन की रीत है।।

हम भी परिंदों की तरह,

बनना चाहतें हैं 

सुंदर सा पंख मिल जाए 

तो उड़ना चाहते हैं…

आस जगाती हो मन में सबके, 

चलता चल मेहनत कर, 

मिल जायेगा वह सब कुछ, 

जिसकी उम्मीद लगाए बैठा है तू।।

– Sunita Shaw…✍️🌺

Romantic Love Poetry

Life Thoughts

Beauty And Cosmetics tips

डैंड्रफ कैसे हटाये

Beautician - Usha Patel

सर्दियों में डैंड्रफ की समस्या बढ़ जाती है, जो बालों के साथ – साथ चेहरे और आंखों को भी प्रभावित करती हैं। रूसी की वजह से बालों का बुरा हाल हो जाता है। कई बार बाल झड़ने की दिक्कत भी पैदा हो जाती है। 

तो आइये जानते हैं कि इसके लिए क्या करना चाहिए। 

बालों से रूसी की छुट्टी

नींबू से पाए रूसी से छुटकारा

एक नींबू का रस निचोड़े और इसे स्कैल्प पर लगाएं। इसे 30 मिनट तक ऐसे ही रहने दें और फिर, गुनगुने पानी से धो लें। यह स्कैल्प में जलन पैदा कर सकता है लेकिन नींबू में एंटीमाइक्रोबियल गुण होने से यह छिद्रों को अच्छी तरह से साफ कर देगा। इस प्रकार डैंड्रफ दूर हो जाएगा और त्वचा साफ होने लगेगी। 

नारियल तेल से राहत

नारियल तेल में पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में होते हैं। नारियल तेल को गुनगुना करें और इससे धीरे- धीरे स्कैल्प पर मालिश करें। पूरी रात बालों को ऐसे ही छोड़ दें और अगली सुबह हल्के हर्बल शैम्पू से बालों को धो लें। 

एलोवेरा का कमाल

एलोवेरा का एक ताज़ा पत्ता लें और इसमें से जेल निकाल लें। फिर जेल को धीरे – धीरे अपने स्कैल्प पर लगाकर मालिश करें और इसे आधे घंटे के लिए रहने दें। इसके अलावा थोड़ा एलोवेरा जैल अपने मुहांसे पर लगाएं। जब तक यह सूख न जाए, तब तक ऐसे ही रहने दें। कुछ समय बाद धो लें। 

“दही और नींबू” इन दोनों में प्राकृतिक अम्लीय गुण होते है। 

2 बड़े चम्मच ताजे दही में नींबू के रस की कुछ बूंदे डालकर पेस्ट तैयार कर लें। इसे चेहरे पर और बालों में 15-20 मिनट तक इस पेस्ट को लगा रहने दें। फिर इसे सादे पानी से धो लें। 

बालों की देखभाल की आदत डालें

  • नियमित रूप से दिन में दो बार कंघी करें। जिससे बालों के रोम साफ रहते हैं। इसलिए सुबह के अलावा रात को सोने से पहले भी बालों में कंघी करें। 
  • उच्च गुणवत्ता वाले एंटी- डैंड्रफ शैंपू लगाएं जो नियमित शैंपू से बेहतर होते हैं। हफ्ते में कम से कम दो बार इससे बालों को धोएं। 
  • कंडीशनर को स्कैल्प से बचाकर लगाएं। सिर्फ बालों को लगाना चाहिए। अगर इसे स्कैल्प पर रगड़ते हैं, तो प्रोडक्ट का अवशेष डैंड्रफ को बढ़ा देगा। 
  • सिर धोने के लिए गर्म पानी की बजाय गुनगुने या ठंडे पानी का प्रयोग करें।
  • बालों में तेल लगाकर मसाज करें। 
  • सर्दियों  के दौरान गर्म पानी से बाल धोने के चलते सिर की त्वचा सुखी और परतदार बन जाती हैं। तेल इस्तेमाल न करना भी इसका एक अहम कारण है। 
  • सिर से निकलने वाले तेल का स्राव अधिक होने से भी रूसी होती है। अनियमित ढंग से शैंपू करना मुश्किल बढ़ा देता है जिससे खुजली वाली परते बना सकता है। 

लक्षण.. 

डैंड्रफ होने पर सफेद तेल युक्त धब्बे दिखने लगते हैं। ठंड में दिक्कत बढ़ जाती है मृत त्वचा पपड़ी बनकर रूसी के रूप में सामने आती है। ऐसा एलर्जी से भी होता है। 

तो दोस्तों बालों की देखभाल करें और रूसी से छुटकारा पाएं। 

Beautician – Usha Patel

Chhattisgarh (C.G)

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मेथी थेपला

गुजराती थेपला अनेक तरह से बनाये जाते है!

बेसन और गेहूं के आटे को मेथी और देशी मसाला मिलाकर बने मेथी के थेपला बनाएं, आप इन्हें टिफिन में तो रख ही सकते हैं, कहीं घूमने जाए तो थेपला बनाकर ले जाएं, पूरी जैसा बैलकर तल लें कुरकुरा थेपला बहोत दिन तक खराब नहीं होते, और रोटी की तरह सेंककर भी बनाया जाता है।

गुजराती-थेपला

आवश्यक सामग्री :

गेहूं का आटा – 1 कप 

 बेसन – 1/4 कप

मेथी – 1/2 कप

 दही – 1/4 कप

 तेल – 1/4 कप आटे में डालकर गूंथने के लिए और थेपला सेकने के लिए या तलने के लिए

 धनिया – 1/2 छोटी चम्मच

 नमक – 1/2 छोटी चम्मच या स्वादानुसार

 अजवायन – 1/4 छोटी चम्मच

 लाल मिर्च – 1/4 छोटी चम्मच

 हल्दी पाउडर – 1/4 छोटी चम्मच

विधि : 

गेहूं के आटे को किसी बर्तन में निकाल लीजिए उसमें बेसन, लाल मिर्च पाउडर, हल्दी पाउडर , धनिया पाउडर, नमक, अजवायन, कटी हुई मेथी, दही और दो छोटे चम्मच तेल डालकर अच्छी तरह मिला लीजिए। पानी की सहायता से नरम आटा गूंथ लीजिए। आटे को 20 मिनट के लिए ढककर रख दीजिए। आटा सेट होकर तैयार हो जाएगा। हाथ पर थोड़ा सा तेल लगाकर आटे को मसलकर चिकना कर लीजिए। 

तवा गरम कीजिए। आटे से थोड़ा सा एक छोटे नींबू के बराबर आटा लीजिए, और गोल लोई बनाकर तैयार कर लीजिए। गेहूं के सूखे आटे में लपेटकर चकले पर रखिए, और पतला बेल लीजिए। गरम तवे पर थोड़ा सा तेल डालकर चारों और फैलाए। 

अब बेले गये थेपला को तवे पर डाल दीजिए। जब थेपला का कलर ऊपर से थोड़ा डार्क हो जाए तब थेपला को पलट दीजिए, ऊपर की ओर 1 छोटी चम्मच तेल डालकर फैलाइये। मीडियम ऑंच पर थेपला को दोनो ओर पलट पलट कर अच्छी ब्राउन होने तक सेकिए। सारे थेपले इसी प्रकार सेंक कर तैयार कर लीजिए। 

आप चाहे तो पूरी जैसा छोटा बेलकर इसे तल भी सकते है। ब्राउन होने तक तला हुआ कुरकुरा थेपला बहुत दिनों तक रख सकते है।

स्वादिष्ट मेथी थेपला बनकर तैयार है। इन्हें आप अचार, दही, चटनी के साथ खा सकते हैं। ये गुजराती डिश है चाय के साथ भी खा सकते है। मेथी थेपला बनाइए और खाइए।

उषा पटेल
छत्तीसगढ़, दुर्ग

उत्तराखंड की ऐपण कला

ऐपण

भारत के उत्तराखंड राज्य में दो प्रमुख मंडल हैं गढ़वाल और कुमाऊं।

कुमाऊं क्षेत्र के एक प्रमुख लोक कला है जिसका नाम है ऐपण।

ऐपण क्या है ? 

“ऐपण” शब्द संस्कृत के शब्द “अर्पण” से लिया गया है। 

“ऐपण” का शाब्दिक अर्थ होता है “लिखना”।

ऐपण उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में प्रत्येक त्योहार, शुभ अवसर, धार्मिक अनुष्ठान, नामकरण संस्कार,  आदि पवित्र समारोह का एक अभिन्न अंग है, जिसमें तरह-तरह की आकृतियां, चित्र बनाए जाते हैं।

 ऐपण कहाँ बनाए जाते हैं ?

ऐपण फर्श, दीवारों, घरो के प्रवेश द्वार, पूजा का क्षेत्र, मंदिर में चौकियों पर, पूजा की थाल में, पूजा के आसन में, विभिन्न देवी-देवताओं के लिए जो आसन बनाए जाते हैं उनमें और अब तो आधुनिक रूप से विभिन्न प्रकार के पेंटिग्स में भी इसका प्रयोग किया जाने लगा है ।

ऐपण बनाने की पारंपरिक विधि 

उत्तराखंड के कुमाऊं में प्रत्येक महीना दिवाली के शुभ अवसर पर मुख्य त्योहारों पर अपने घरों को ऐपण से जरूर सजाती है।

परंपरागत रूप से ऐपण में गेरू और चावल को भिगोकर पीसे गये घोल (पेस्ट) का प्रयोग होता है। इसमें महिला अपने दाहिने हाथ की अंतिम तीन उंगलियों से विभिन्न प्रकार की ज्योमैट्रिक पेटर्न जिसमे स्वास्तिक, शंख,सूर्य, चंद्रमा, पुष्प देवी लक्ष्मी, गणेश आदि की आकृतियां बनाती है । 

ऐपण बनाने की आधुनिक विधि

आज के समय में महिलाएँ और लड़कियाँ गेरू और चावल के पेस्ट की जगह पर रंग – बिरंगे पेंट जैसे लाल, सफेद रंगों का प्रयोग करते हैं वे तरह-तरह के आकृतियाँ बनाती हैं।

ऐंपण कला का महत्व

उत्तराखंड के कुमाऊं की ये अनमोल कला को अभी तक संभालने और अपनी पीढ़ियों को आगे से आगे पहुंचाने का  श्रेय किसी को जाता है तो वो है वहाँ की महिलाएं जो अपनी बहू, बेटियों को और बच्चों को अब ये पीढ़ी दर पीढ़ी सिखाते जा रही हैं। इसका बहुत ही अधिक महत्व है क्योंकि धीरे-धीरे हमारे लोक कलाएं विलुप्त होती जा रही हैं और इन को संभालना अब आज की नई पीढ़ी के लिए बहुत ही ज़रूरी है चाहे वो शहर में रह रहे हो या गाॅंव में।

खासकर जब बात आती है दिवाली के दिनों की तो अच्छा मौका होता है जब सब मिलकर कुछ ना कुछ अपने घर के लिए कर सकते हैं अपने मंदिर को सजा सकते हैं इस ऐपण के द्वारा और अपने समय का सदुपयोग के साथ-साथ इस विरासत को ख़त्म होने से बचा सकते हैं।

(आशा करती हूॅं आपको उत्तराखंड के इस लोक कला के बारे में जानकर अच्छा लगा होगा)

जय देवभूमि ! जय उत्तराखंड 🙏

लेखिका: सीता वोरा

पांवटा साहिब,  हिमाचल प्रदेश

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पनीर रोल

Paneer-Roll

पनीर रोल नाश्ते में परोसे जाने वाले एक लाजवाब रोल है! जो बच्चों को बहुत पसंद आते है! 

इसमें पनीर का स्वादिष्ट मसाला चपाती या पराठा में लपेट कर रोल बनाये जाते है, इसे घर पर बनाना बहुत सरल है!

इस विधि में मुख्य तीन चरण है
  1. पनीर का मसाला बनाना
  2. रोल के लिए चपाती बनाना और
  3. रोल बनाना
पनीर के मसाले के लिए सामग्री
  • 1 कप कसा हुआ पनीर
  • 2 टेबल स्पून बारीक कटा हुआ धनिया
  • 1 मध्यम प्याज, बारीक कटा हुआ
  • 1 हरी मिर्च, बारीक कटी हुई
  • 1/2 टी स्पून अदरक, लसून का पेस्ट
  • 1/2 टी स्पून जीरा
  • 1/4 टी स्पून गरम मसाला पाऊडर
  • 1/2 टी स्पून लाल मिर्च पाऊडर
  • 1 टी स्पून धनिया पाऊडर
  • 2 टी स्पून टोमेटो केचप, स्वाद अनुसार नमक
  • 1 टी स्पून तेल
चपाती के लिए सामग्री
  • 3/4 कप + 1/4 कप गेहूँ का आटा या मैदा
  • 2 टी स्पून तेल, दूध, नमक
रोल बनाने के लिए सामग्री
  • 2 चीज़ क्यूब, कसा हुआ
  • 1 कप कटा हुआ पत्ता गोभी, 4 टी स्पून हरी चटनी, तेल सेकने के लिए! 

रोल के लिए चपाती बनाने की विधि

एक टबरतन में 3/4 गेहूं का आटा, 2 स्पून तेल और नमक लें! 

जरूरत के अनुसार दूध या पानी डालें और चपाती या पराठे के आटे की तरह नरम आटा गूंथ लें! आटे को ढककर 10-15 मिनट के लिए रख दें! उसे 4 भागों में बाँट ले और लोई बना दें! 

लोई को गेहूं के सूखे आटे में लपेटकर पतली चपाती बेल दें! 

और तवे में हल्के भूरे होने तक सेंक लें…..! 

इसे एक प्लेट में रखे और ढक दें ताकि नरम रहे..! 

भराई के लिए मसाला बनाने की, विधि

  1. एक कड़ाही में कम आँच पर तेल गरम करें, उसमें जीरा डालें! जब जीरा सुनहरा होने लगे तब बारीक कटा हुआ प्याज डालें! प्याज सुनहरे भूरे होने तक भूने! अदरक- लसून का पेस्ट डालें और 30 सेकंड के लिए भूने! 
  2. लाल मिर्च पाऊडर, धनिया पाऊडर, गरम मसाला पाऊडर, टोमेटो केचप, हरा धनिया और हरी मिर्च डालें……! अच्छी तरह से मिलाएं……! 
  3. गैस बंद कर दें! कसा हुआ पनीर और नमक डालें! अच्छी तरह से मिलाए! रोल बनाने के लिए मसाला तैयार है! 

पनीर रोल बनाने की विधि

  1. परोसने के समय मध्यम आँच पर एक तवा गरम करें! उसके ऊपर पहले से सेकी हुई चपाती डालें! तेल लगाकर फिर से सेंक लें! प्लेट में निकाले, उसके ऊपर समान रूप से 1 spoon हरी चटनी फैला दें! बीच में मसाला रखें और लंबाई में फैला दें! उसके ऊपर कसा हुआ चीज़ और कटा हुआ पत्ता गोभी डालें! 
  2. मसाले को चपाती से लपेटकर रोल बना लें
  3. उन्हें टमाटर केचप और हरी चटनी के साथ परोसे! 

सुझाव आप चपाती और मसाले को पहले से बनाकर रख सकते है! 

स्वाद- चटपटा और नमकीन..! 

तो दोस्तों आप भी घर में पनीर रोल बनाइए, खाइये और खिलाइये, जरूर सभी को पसंद आयेगा.

Usha Patel Kitchen

स्त्री विषयी कविता

नारी एक कहानी

Naari

न दफ़न होती कोख में, लड़की कभी,

  जो लड़का होती,

न मारी जाती, न जलाई जाती ज़िंदा,

कोई राज दुलारी, कहीं वो बहुरानी, न पत्नी

बस इंसान होती।

न लूट लेता कोई अस्मत उसकी,

जो वो बेटी अपनी, ना पराई होती,

ना छली जाती प्रेमी से कभी वो प्रेयसी,

जो वो प्रेम नारी बस यूँ ही,

बना दो झाँसी की रानी, 

या बंदूके हाथों में थमा दो,

वहशियों को वहशियत की तुम,

हाँ मौके पर सज़ा दो।

घर में चूड़ी से नहीं होगा,

अब इनका गुजारा,

लड़ मरे अस्मत की खातिर,

ज्वाला वो दिल में जला दो।

बेड़ियाँ कुछ यूँ हाँ खोलो,

बेटो सी नहीं तू बोलो,

तुझमें बेटो से ज़्यादा है शक्ति,

उनको तुम इतना जता दो।

तू भवानी, तू ही काली,

तुम उन्हें दुर्गा बना दो,

तुम उन्हें दुर्गा बना दो।।

वजूद स्त्री हो जाना

सच कहे तो स्त्री होना इतना आसान नहीं होता,

हर पल खुद को खोना होता है,

कभी बेटी बन के,

तो कभी पत्नी, बहु, तो कभी माॅं बन के, 

हर पल खुद को खोना होता है,

खुद ही खुद का वजूद मिटाना होता है,

क्या इतना सरल होता है खुद के वजूद को खो देना,

अगर इतना ही सरल होता है,

तो क्यों नहीं खो देते तुम अपने ही वजूद को,

क्यों एक पल सपने दिखाकर दूसरे ही पल छीन ले जाते हो,

कभी जिम्मेदारी के लिए, कभी मान – सम्मान के लिए,

सबको अपने से ऊपर और खुद को नींव बनाना पड़ता है,

अपने ही वजूद को मिटाना पड़ता है,

सपनों को छुपाना पड़ता है,

खुद को खोना पड़ता है,

सबकी खुशी के लिए खुद को नींव बन जाना पड़ता है। 

क्या अब भी लगता है? 

इतना सरल होता है स्त्री हो जाना?

क्या इतना सरल होता है खुद के वजूद को नाम देना?? 

कद्र करना सिखा दिया – कोरोना का समय

मेरी अपनी पहचान

रोटियाॅं

रोटियाॅं

माँ को जब देखती हूॅं चूल्हे पर रोटियाॅं सेकते हुए, नजर चली जाती है उसकी उंगलियों पर, जो शायद पक गई है, चूल्हे की ऑंच सहकर बरसो से, तो सोचती हूॅं, कि शायद उस विश्व रचयिता की उंगलियाॅं भी, इन उंगलियों के सामने कोई महत्व नहीं रखती। 

तो दोस्तों  रोटियाॅं के  ऊपर एक कविता प्रस्तुत करने जा रही हूॅं….। एक नज़र पढ़ लीजियेगा। 

कभी एक वक़्त भी नसीब नहीं होती है रोटियाॅं,

कभी कभी चार वक़्त भी मिल जाती है रोटियाॅं,

कभी किसी के दर्द से निकली हुई रोटियाॅं,

कभी भूख से पीड़ित जान ले लेती है रोटियाॅं,

कभी अमीर के घर की कूड़ेदान हो जाती है रोटियाॅं,

कभी माॅं के ऑंचल से लिपटी हुई रोटियाॅं,

कभी बाप के पसीने से भीगी हुई रोटियाॅं,

कभी यौवन के श्रृंगार रची हुई रोटियाॅं,

कभी बुढ़ापे के डर से कांपती रोटियाॅं,

कभी सावन के फुहार बलखाती रोटियाॅं,

कभी रेत की तरह फिसल जाती रोटियाॅं,

कभी सम्मान के खातिर बिक जाती है रोटियाॅं,

कभी गुनाह करके भी ऑंखे दिखाती है रोटियाॅं,

कभी ज़िंदगी के वजूद के लिए मिट जाती है रोटियाॅं,

आखिर में निवाला बनकर खत्म हो जाती है रोटियाॅं। 

लेखिका : उषा पटेल

छत्तीसगढ़, दुर्ग

कविता – प्रेम विरह कविता

कहानी

कैरेमल कस्टर्ड पुडिंग

Caramel Custard pudding

सामग्री – कस्टर्ड पाउडर  4 टेबल स्पून

           दूध – 1/2 लीटर     

        चीनी लगभग – 1 1/2 कटोरी 

    6 सफेद ब्रेड (इन ब्रेड के ब्राउन वाले हिस्से को हम निकाल देंगे और छोटे-छोटे पीस इसमें कट करके एक ग्राइंडर में डालकर इसका बारीक पाउडर बना लेंगे)

गार्निशिंग के लिए –

स्ट्रॉबेरी जेली, व्हाइट एंड ब्राउन चॉकलेट ।           

विधि – सबसे पहले एक नॉन स्टिक कढ़ाई में लगभग 5-6 चम्मच चीनी डालकर उसको हल्की ऑंच में कैरेमल होने के लिए रख देंगे,

 बीच-बीच में चीनी को हिलाते रहेंगे जिससे कि वह जल ना जाए, तो उसे जल्दी से एक केक पैन में डाल देंगे और उसको धीरे-धीरे उसको एक पैन में फैला लेंगे। अब हमारा कैरेमल तैयार है।

अब हम 4 टेबलस्पून कस्टर्ड पाउडर को एक कप में थोड़े पानी के साथ अच्छे से मिक्स करेंगे ध्यान रहे उसमें कोई भी छोटी-छोटी गोलियाॅं नहीं बननी चाहिए। फिर हम एक नॉन स्टिक कढ़ाई में आधा लीटर दूध डाल देंगे और उसको मीडियम आँच में गरम करेंगे और फिर उसमें लगभग डेढ़ कप चीनी डालकर को पकाएंगे। जब चीनी उसमें पूरी तरीके से घुल जाए तो अब जो हमारा कस्टर्ड हमने घोल के रखा था उसको दूध में डाल देंगे अब जो हमने सफेद ब्रेड का चूरा बनाया था उसको धीरे-धीरे इस दूध में डालते जाएंगे और चलाते जाएंगे याद रहे कि गैस जो है मीडियम रहनी चाहिए और धीरे-धीरे हम सारा ब्रेड का चूरा उसके अंदर डाल देंगे और लगभग ऐसे 2 से 3 मिनट तक पकाना है।

अब यह हमारा कस्टर्ड जो है थोड़ा गाढ़ा हो जाएगा अब हम इसको उस केक पैन में डाल देंगे जिसमें हमने पहले से ही कैरेमल बना कर रखा है । अब इसको अच्छे से सेट करेंगे एलमुनियम फाइल की हेल्प से इसको ऊपर से अच्छे से और टाइट करके ढक देंगे।

लगभग अब हमें इसे रूम टेंपरेचर पर ही 1 से 2 घंटे तक रहने देना है। उसके बाद अब इसे हम फ्रिज में लगभग 2 घंटे के लिए रख देंगे।

2 घंटे के बाद अब आप इसको बाहर निकलेंगे और एक प्लेट में बहुत ही ध्यान पूर्वक पलट देंगे।

अब आपका कैरेमल कस्टर्ड पुडिंग तैयार है आप इसको ब्राउन, वाइट चॉकलेट को घिसकर और स्ट्रॉबेरी जेली के साथ गार्निशिंग कर सकते हैं । 

सीता वोरा

पांवटा साहिब,  हिमाचल प्रदेश 

Beauty And Cosmetics tips

Comic satirical compositions

Poem

कविता – प्रेम विरह कविता

इश्क़ के नाजुक डोर से

इश्क़ के नाजुक डोर से

बाॅंध लो तुम हमें भी आज अपने इश्क़ के नाजुक डोट से, 

खुशियाँ हम भी भरेंगे, तेरे जीवन के दामन में अपनी ओर से।

तेरे लबों पर लाना है हमें भी एक प्यारी – सी मुस्कुराहट,

 तुम तक पहुॅंचने ना देंगे, हम कभी कोई ग़म की आहट।

तेरे परेशां दिल को पहुँचाना है अब हमें भी राहत, 

जन्मों- जन्मों तक करें हम, बस एक तेरी ही चाहत।

बाॅंध लो तुम हमें भी आज अपने इश्क़ के नाजुक डोर से, 

खुशियाँ हम भी भरेंगे, तेरे जीवन के दामन में अपनी ओर से।

Best heart touching love shayari

भारतीय संस्कृति और वैलेंटाइन सप्ताह

गुस्सा भी नुकसानदायक होता है

एक सपना जो हर किसी भारतीय के आँख में पल रहा है

मेरा ये ज़ालिम दिल चाँद को चूमने की ख्वाहिश रखता है

मेरा ये जालिम दिल हर पल बस चाँद को चूमने की ख्वाहिश रखता है, 

उसके इश्क़ की खुशबू में अपने आपको खोने की आजमाईश रखता है, 

उसकी शीतलता के आगोश में कुछ हसीन सपने बुनने की फरमाइश रखता है,

पता है मुझे, इश्क -ए महताब शायद नहीं हमारी क़िस्मत में,

फिर भी बन चकोर एकटक उसे और उसकी खुबसूरती को हर वक़्त निहारना चाहता है, 

रजनीगंधा – सी बनकर उसकी सुनहरी यादों में हर पल बस महकना चाहता है।

संवरती हूॅं

संवरती हूॅं

ओ मेरे रांझणा!

तेरे उदास से मायूस ऑंखों में असीम खुशियाँ झलकाने के लिए, 

तेरे सुनहरे यादों की दरिया में सराबोर ही नित्य – प्रति संवरती हूँ मैं,

तेरे गहरे अथाह प्रेम की मनोरम महक से हर पल ही निखरती हूँ  मैं,

यूँ तो काजल और कुमकुम अक्सर ही मेरी ख़ूबसूरती को और भी बढ़ा देती है ,

पर तुम्हारी मौजूदगी मेरी उस ख़ूबसूरती में भी हर बार चार चाँद लगा देती है।

तेरा यूॅं शर्माना

मुझे देखकर हर दफा दाँत तले अपनी उंगली दबा तेरा ये शरमाना, 

दुपट्टे के ओट तले अपना चेहरा, चाहत भटी मेरी निगाहों से छिपाना, 

अपनी प्यारी-सी मुस्कान से हमेशा ही हमें बरबस अपनी ओर लुभाना, 

अपनी खुशबू बिखेरते हुए मेरे करीब से झटपट तेरा भाग जाना, 

उफ्फ तेरी ये अदा मेरे मासूम दिल पर छुरी चला जाती है,

है तुझे भी इश्क़ हमसे, इसका अहसास हमें दिला जाती है।।

ये दिल

ये दिल

ये दिल इतना बेदर्द क्यों है? 

जो हर ग़म को ख़ुद में छिपाता है,

हर दर्द को सीने में दफनाता है, 

इतना क्यों ख़ुद को तड़पाता है? 

चाह कर भी कुछ ना किसी को बताता है, 

आखिर ये दिल इतना बेदर्द क्यों है? 

लोगों का दामन जब इसे अकेला छोड़ जाता है, 

तन्हाई भी तब इसे अंदर तक तोड़ जाता है। 

उस पर ऑंसू इतना बहाता है, 

दर्द को छिपाए छिपा नहीं पाता है, 

ये हद से ज्यादा जब घबराता है, 

मन भी कुछ समझ नहीं पाता है। 

जाने क्या पता इसकी क्या मजबूरी है? 

किस बात के लिए खुद की मंजूरी है? 

जो हर राज़ को सभी नजरों से बचाता है, 

जो हर दर्द को सीने में दबाता है। 

आखिर दिल इतना बेदर्द क्यों है?

तेरे प्रेम में बस एक तेरे ही प्रेम में

मेरी नजरों के सामने यूँ ही बैठे रहो तुम बिल्कुल गुपचुप होकर, 

 देखता रहूँ बस तुझे एकटक मैं अपनी सुध – बुध खोकर । 

होश में लाने भी ना पाये हमें दुनिया की कोई भी फिजूल बातें, 

तेरी ही बस एक तेरी ही पनाहों में गुजर जायें मेरी हर एक राते । 

तेरे प्रेम में बस एक तेरे ही प्रेम में मैं मस्त मलंग बन जाऊँ, 

तू मेरी हीर और मैं  ; मैं  मैं तेरा रांझा बन जाऊँ । 

मेरी नजरों के सामने यूँ ही बैठे रहो तुम बिल्कुल गुपचुप होकर, 

 देखता रहूँ बस तुझे एकटक मैं अपनी सुध – बुध खोकर ।

लेखिका: आरती कुमारी अट्ठघरा ( मून)

नालंदा, बिहार