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महिला के खून का रहस्य

2 घंटे की शॉपिंग के बाद मैं घर लौट रही थी घर के जरूरी सामान के अलावा मालकिन ने मुझे अपने लिए भी कपड़े खरीदने के पैसे दिए थे। और कहा था घर का सामान खरीदने के बाद समय बचे तो आज ही अपने लिए भी खरीद लेना कपड़ेनहीं तो  कल चले जाना मगर 2 बजे तक घर चली आना क्योंकि अभी घर का आधा काम बाकी है जल्दी घर आकर काम भी निपटाना है तुम्हें, मुझे मालकिन की बात याद थी इसलिए मैं करीब 11 बजकर 50 मिनट पर गई थी और 2 बजे घर वापस रही थी अभी मैं रिक्शे वाले को घर की गली के तरफ मुड़ने को बोलती तभी मुझे काफी  भीड़ दिखी और शोर सुनाई दियामैं रिक्शे वाले को और आगे ले चलो कहती तब तक पुलिस ने हमें वही रोक दिया और बोला आगे जाना मना है मैंने कहा थोड़ी ही दूर पर बंगला नंबर 24 पर जाना है  हमें जाने दीजिए मेरे पास सामान बहुत है मैं इतना सामान लेकर वहाॅं तक नहीं चल सकती पुलिस ने मुझे देखा, और पूछा, कितना नंबर बंगला? मैंने कहा बंगला नंबर 24

पुलिस ने तुरंत मुझे रिक्शा से उतरा और बोला समान यहीं रहने दो और हमारे साथ चलो वहाॅं एक औरत का खून हुआ है इतना सुनते ही मैं रोने और डर से कांपने लगी, पुलिस बोला अंदर चलो हमें कुछ पूछताछ करनी है और यहाॅं जिनका खून हुआ है उनका नाम कौशल्या देवी है। मैं इतना सुनते ही रोने लगी, मेरे हाथ पाॅंव कांपने लगे और मुझे पुलिस उस कमरे में लेकर गई जहाॅं मालकिन की लाश पड़ी थी जिस कमरे में वह सोती थी वही पलंग के पास नीचे ज़मीन पर वह पड़ी थी उनका शरीर देखने से लग रहा था जैसे वह सोई है। शरीर पर कोई ख़रोच नहीं था बस शरीर ठंडा पड़ा था मैं जोरजोर से रोने लगी। उस समय वहाॅं कौशल्या देवी के पति और बेटा चुके थे दोनों बहुत रो रहे थे और सब मुझसे पूछने लगे तू क्यों कौशल्या को छोड़कर के बाहर गई, दोनों बाप बेटा मुझे डांटने लगे मैं बहुत डरी थी इसलिए कुछ बोल नहीं पा रही थी लेडी पुलिस पूछताछ के लिए दूसरे कमरे में ले गईपुलिस ने मुझसे पूछा, घर के सदस्यों के बीच आपसी रिश्ता कैसा है? कहीं कोई मनमुटाव तो नहीं है? मैंने कहा नहीं, फिर मैं डरी तो थी ही और उनकी पूछताछ जारी थी। 

उन्होंने पूछा तुम कितने बजे गई थी? और तुम्हें किसने भेजा था? मैंने कहा मुझे कौशल्या देवी ने भेजा था और मुझे कहा था 2 बजे तक वापस आना। मैं 11:50 पर घर से निकली थी।

पुलिस बहुत परेशान थी क्योंकि जिस समय यह ख़ून हुआ था घर के सभी सदस्य बाहर थे वह अकेली थी घर में। पुलिस लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज कर पूरे घर का ब्यौरा करने लगी, लेकिन उन्हें कोई सुराग नहीं मिल पा रहा था अब उन्हें पोस्टमार्टम के रिपोर्ट  का इंतज़ार था। कमरे को पुलिस ने सील कर दिया, वहाॅं किसी को भी जाने की इजाज़त नहीं थी। रात के 8 बजे पोस्टमार्टम रिपोर्ट आया जिसमें साफ लिखा था कि उनका ख़ून किया गया था ज़हर दिया गया था। उनको करीब 1 बजे के आसपास ज़हर दिया गया था और उनकी मौत 2 के बीच में हुई है  

सुबह पुलिस फिर से बंगले पर पहुॅंची तो देखा सारा घर वैसे ही था जैसे पुलिस छोड़कर गई थी। पुलिस एक बार फिर से सारे घर की तलाशी ली खासकर कौशल्या देवी के कमरे की बाथरूम की हर चीज को बारीकी से देखा। लेकिन वहाॅं पर कुछ ख़ास नहीं मिला। पुलिस ने फिर से कौशल्या देवी के पति सुकांत वर्मा से फिर से बात की, लेकिन उनसे भी कुछ पता नहीं चला, बेटा बहुत ज्यादा रो रहा था लेकिन उससे भी पुलिस को कुछ ख़ास नहीं मालूम हो पाया, अब पुलिस परेशान हो गई थी उनके हाथ निराशा ही लगी। 

अब पुलिस ने यह चार्ज वहाॅं के नामी जासूस पंडित केशवचंद्र को देनी चाहि, पंडित केशवचंद्र  वहाॅं के नामी जासूस थे उनके हाथ में कोई केस आए और वह सुलझा नहीं  सके! ऐसा नहीं हो सकता था।

दूसरे दिन जासूस पंडित केशवचंद्र बंगला नंबर 24 में पहुॅंचे और वहाॅं पर सब से बातचीत की और पूछा किसी पर भी शक हो तो बताए, घरवालों को किसी पर भी कोई शक नहीं था यहाॅं घर के सभी सदस्य बहुत नॉर्मल दिखे, नौकरानी तो डरी और दुखी दिख रही थी बेटा भी बहुत दुखी था पर अपने ऑफिस के काम में व्यस्त हो गया था। इधर कौशल्या जी के पति से भी काफी पूछताछ हुई लेकिन वह कुछ भी नहीं बता सके और उन्हें किसी पर भी शक नहीं था क्योंकि घर से कोई भी चीज गायब नहीं हुई थी तो चोरी के इल्ज़ाम में नौकरानी को भी कुछ नहीं बोला जा सकता था। अब केशवचंद्र जी की टीम अपने तरीके से पूरे घर का व्योरा करने लगी।  बेडरूम से सटा हुआ जो बाथरूम था वहाॅं देखने पर पता चला एक कचरे का डब्बा भी रखा है कचरे के डब्बे को जब खोला गया तो उसमें देखा गया 3 वेट वाइप्स (मूंह पोछने वाला सुगंधित कागज़) रखे थे उन वेट वाइप्स को बाहर निकाला गया और उसे देखा गया तो उसमें लिपस्टिक और थोड़े बहुत मेकअप के दाग दिख रहे थे चुकी कौशल्या जी साधारण औरत थी और वह ना लिपिस्टिक ना मेकअप लगाती थी तो  केशवचंद्र जी उसे जाॅंच के लिए भेज दीया।

केशवचंद्र जी नौकरानी को अलग लेकर गए और अब केशवचंद्र उससे पूछताछ करना फिर से शुरू किए। यह किसका है? यह ज़रूर तुम्हारा होगा? नौकरानी फूट-फूट कर रोने लगी, उसने कहा यह मेरा नहीं है फिर बोले कि तुम मुझे घर के सदस्यों के बारे में बताओ थोड़ा भी तुम्हें शक है तो हम इस खूनी तक पहुॅंच सकते हैं नौकरानी डरी थी उसने बोला कौशल्या जी का पति और पत्नी में परसों थोड़ी नोकझोंक हो गई थी क्योंकि एक लड़की उनसे मिलने आई थी रात के 10 बजे और अक्सर  काम से देर से आया करते थे तो उन दोनों में सुबह शाम कभी भी झगड़ा हो जाया करता था केशवचंद्र नौकरानी को स्केच बनवाने के लिए ले गए उस लड़की का जो परसों रात आई थी  स्क्रेच बनने के बाद उन्हें पता चला वर्मा जी के ऑफिस में ही काम करने वाली लड़की है केशवचंद्र लड़की के पास पहुॅंचे और उसे डराया धमकाया, पूछा, लेकिन लड़की कुछ नहीं बोली उसके बाद उसे मेडिकल चेकअप के लिए भेजा गया। 

मेडिकल चेकअप में पता चला वह लड़की  प्रेग्नेंट है। अब उस लड़की को सारी बातें बताने में देर नहीं करनी थी। तो उसने बताया कि 11 दिन पहले वह वर्मा जी से मिलने रात के 12 बजे आई थी और काफी देर बाते हुई, मैंने वर्मा जी से शादी करने के लिए बोला लेकिन वह साफ मना कर रहे थे उन्हें कौशल्या जी का डर था लेकिन जैसे ही मैंने मरने की बात कही वर्मा जी डर गए और उसके बाद हम दोनों ने यह प्लान किया।

उस दिन जब नौकरानी मार्केट चली गई तब मैं और वर्मा जी घर आए दोनों एक साथ नहीं आए, पहले वर्मा जी आए, फिर मैं आई 15 मिनट के बाद, उसके बाद हम थोड़ी देर बैठे कौशल्या जी को लगा मैं ऑफिस के काम से आई हूॅं, तो उन्होंने तीन कप चाय बना कर ले आई। हम जैसा कि सोचे थे एक कप में हमने ज़हर डाल दिया और जिसे पीने के एक घंटे के अंदर उनकी मौत होनी थी। चाय पीने के बाद मैं और वर्मा जी ऑफिस के लिए निकल गए। कौशल्या जी घर में थी इस तरह उनकी मौत हो गई । 

अजीब दुनिया की अजीब कहानी, लेकिन पंडित जी ने सुलझाई अपने ढंग से। समाज में किसी भी बुरे का अंत होता है हम बुराई करके बच नहीं सकते हमें यह लगता है की ज़िंदगी आसान है पर इसे आसान बनाने के लिए त्याग की ज़रूरत होती है। समाज हो या घर कहीं भी अपनी जगह ख़ुद बनानी होती है, किसी की हत्या करके उसकी जगह हम नहीं ले सकते।

“Tere apne tujhse kuchh ummid lagaye baithe hain”

भूल से ही भूल हो जाया करती है

एक अलग दुनिया हम सज़ा लेते हैं। 

अपनी खुशियो का दर्ज़ा पहला रखते हैं, 

अपनों की उम्मीदो को जब हम भूल जाते हैं। 

महलो के आशियाने को हीरे जवाहरातो से सजाते हैं, 

तब अपने भी अपनों से दूरी बनाए रखते हैं। 

उम्मीद के आँसू इंतज़ार में सूख जाते हैं, 

जब महलो के दरवाज़े भी बंद नज़र आते हैं। 

अपनों का साथ सपना बनकर रह जाता हैं, 

जब उम्मीद की घड़ियाँ इंतज़ार में बदल जाती है। 

अपनो से उम्मीद अपने ही करते हैं, 

नाउम्मीदी से अपनों को दुःखी हम करते हैं।।

– Supriya Shaw…✍️🌺

आँखें बंद करके

आँखें बंद करके

आँखें बंद करके

वह पल दोहरा लेती हूँ

ज़िंदगी जीने की 

वज़ह ढूंढ लेती हूँ

हर ख़्वाब को 

हक़ीक़त बना कर 

ज़िंदगी में शामिल कर लेती हूँ

ज़िद समझो शायद 

पर कोशिश है मेरी

हर किरदार को निभाने का 

हुनर ढूंढ लेती हूँ

जुगनू नहीं मैं 

जो कुछ पल की रोशनी दे 

दम तोड़ देती है

मैं वो सितारा हूँ

जो अपनी रोशनी से 

ख़ुद जगमगाती हूँ।।

By – Supriya Shaw…✍️🌺

Kalam Bannunga

कलाम बनूँगा

ख्वाहिशों की उड़ान हो, 

गगन को छूने की चाह हो, 

लक्ष्य साधक बने हमेशा, 

निराशा कभी ना साथ हो, 

चमकता सितारा कहलाते, 

कर्तव्य से कभी ना हट पाते,

नव युग का निर्माण करें, 

नव युवाओं की प्रेरणा बने, 

हर धड़कन में ख्वाब यही हो, 

हम भी एक कलाम बने।।

– Supriya Shaw…✍️🌺

Ibadat ki Takat

इबादत ख़ुदा की करो या इंसान की, 

दिल की पुकार ज़रूर पहुँचती है।

आस्था की ताकत कभी कमज़ोर नहीं होती, 

जब मन के दरवाजो को खटखटाने की ताक़त होती है।।

– Supriya Shaw…✍️🌺

Happy Teacher’s day

गुरु का दर्जा है सर्वोपरि, उनके जैसा पथप्रदर्शक नहीं,

अज्ञानता के अंधकार से हमें कराते परिचित, 

संस्कारों की अहमियत का अभास कराते गुरुजन, 

ज्ञान का भंडार देकर जीवन को सुखमय बनाते हैं, 

ऐसे सभी गुरुओं को हमारा है नमन।।