कुछ करना है तो डट कर चल, थोड़ा दुनिया से हटाकर चल, लीक पर तो सभी चल लेते हैं, कभी इतिहास को पलट कर चल,
इन पंक्तियों के लेखक हरिवंश राय का जन्म 27 नवंबर 1907 को इलाहाबाद के नज़दीक प्रतापगढ़ जिले के एक छोटे से गाँव पट्टी में हुआ. घर में प्यार से उन्हें ‘बच्चन’ कह कर पुकारा जाता था। आगे चल कर यही उपनाम विश्व भर में प्रसिद्ध हुआ। साहित्य में योगदान के लिए प्रतिष्ठित सरस्वती सम्मान, उत्तर प्रदेश सरकार का यश भारती सम्मान, सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार से भी वे नवाज़े गए। लेखक हरिवंश राय बच्चन को 1976 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। कविता की लोकप्रियता का प्रधान कारण उसकी सहजता और संवेदनशील सरलता है उन्होंने साहस और सत्यता के साथ सीधी-सादी भाषा और शैली में सहज ही कल्पनाशीलता और सामान्य बिम्बों से सजा-सँवार कर अपने नये गीत हिन्दी जगत को भेंट किये। हिन्दी जगत ने उत्साह से उनका स्वागत किया। सामान्य बोलचाल की भाषा को काव्य भाषा की गरिमा प्रदान करने का श्रेय निश्चय ही सर्वाधिक ‘हरिवंश राय बच्चन’ का ही है। “कुछ करना है तो डट कर चल” इस कविता को लोगों ने बेहद पसंद किया था। आज भी इस कविता को लोग बेहद पसंद करते हैं।
श्री हरिवंश राय बच्चन जी का जन्म 27 नवम्बर 1907 को इलाहबाद के पास प्रतापगढ़ जिले के एक गांव पट्टी में हुआ था। उन्होंने 1938 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य से एम. ए. किया। उसके बाद 1952 तक इलाहबाद विश्विद्यालय में प्रवक्ता रहे। हरिवंश राय बच्चन जी हिंदी साहित्य के वो जगमगाते सितारे हैं जिनकी चमक कभी कम नहीं हो सकती। 1976 में उन्हें पदमभिभूषण की उपाधि से सम्मानित किया गया। हरिवंश राय बच्चन जी के सुपुत्र अमिताभ बच्चन जी को कौन नहीं जनता। आज भी अमिताभ बच्चन जी अपनी पिता की कविताएं गाते हुए भावुक हो जाते हैं। 18 जनुअरी 2003 को मुंबई में उनका निधन हो गया। उनकी कई कविताएं और रचनाएँ तो आज भी साहित्य प्रेमियों के दिल में घर कर जाती हैं जिसमें – मधुबाला, मधुकलश, सतरंगीनी , एकांत संगीत , निशा निमंत्रण, विकल विश्व, खादी के फूल , सूत की माला, मिलन दो चट्टानें भारती और अंगारे इत्यादि हैं।
सफेद बाल हो जाएंगे पूरी तरह काले अगर हम इन पत्तों का इस्तेमाल सही तरीके से करें,
महंगें प्रोडक्ट की जगह इन पत्तों का इस्तेमाल करें, इनका लेप लगाएं और जल्द से जल्द सफ़ेद बालों की समस्या से छुटकारा पाएं।
अक्सर देखा जाता है असमय हमारे काले बाल सफ़ेद दिखने लगते हैं, और जिसका कारण पता भी नहीं चलता कितनी जल्दी क्यों हमारे बाल सफेद हो रहे। आजकल तो कम उम्र के बच्चों में भी यह समस्या देखे जा रहें हैं। काले बालों के बीच में कुछ सफ़ेद बाल अचानक ही दिखने लगते हैं। थोड़ी सी लापरवाही और थोड़ी सी केयर नहीं करने की वज़ह से ऐसा हो जाता है। तो चलिए कुछ घरेलू नुस्खे मैं बताती हूं जिसको आप इस्तेमाल करके दो-तीन महीने के अंदर फ़र्क भी महसूस कर सकती हैं।
करी पत्ता – करी पत्ता हर जगह मिलता है और बहुत सस्ता भी है, बस इन पत्तों को पीसकर इनका लेप बनाना है, और उसे बालों पर अच्छी तरह लगाना है बालों की जड़ से लेकर बालों के ऊपर अच्छी तरह उसका लेप लगा ले और एक घंटा डेढ़ घंटा आप उसे वैसे ही रहने दें, फिर उसे पानी से धो ले। बाल सूखने के बाद उसके ऊपर आप तेल लगा ले। ऐसा आप हफ्ते में दो बार या एक बार भी करेंगे तो बहुत फ़ायदा होगा। कुछ ही समय के बाद आप देखेंगे बालों का सफ़ेद होना रुक गया है और जो सफ़ेद बाल थे वे काले भी हो रहे हैं।
नारियल का तेल और करी पत्ता – नारियल के तेल में करी पत्ता डालकर अच्छी तरह गर्म कर लें। उसे तब तक गर्म करें जब तक करी पत्ते की नमी ना चली जाए। जैसे ही पत्तों की नमी चली जाए, पत्ते तेल के अंदर अच्छी तरह अपना असर छोड़ देते हैं। आप देखेंगे कि तेल का रंग भी बदल गया है हल्का हरे रंग का वह तेल हो जाएगा। आप उस तेल को ठंडा करके किसी जार में घर पर रख सकते हैं, यह तेल लंबे समय तक खराब नहीं होगा और उसे समय-समय पर सप्ताह में कम से कम एक या दो बार उसका मसाज करें, इससे भी आपके सफ़ेद बालों को काला करने में मदद मिलेगी।
नींबू के रस में आंवले का चूर्ण – नींबू के रस में भी आंवले का चूर्ण मिलाकर एक अच्छा लेप बना सकते हैं और इसको सप्ताह में एक बार लगाने पर और उसे कम से कम एक घंटा बालों पर रहने दें। उसके बाद उसे धो लें। ऐसा करने से भी बाल जल्दी सफेद नहीं होते हैं और जो सफेद बाल है वह जल्दी काले भी हो जाते हैं।
इन सब घरेलू उपाय से बहुत जल्दी ही सफेद बाल काले हो जाते हैं और दूसरा अगर हमारे सफेद बाल नहीं भी है तो वह जल्दी सफ़ेद नहीं होंगे। एक लंबे समय तक हमारे बाल काले और घने रहेंगे। इन सब उपायों को अपनाकर हम उन महंगे प्रोडक्ट्स से बच सकते हैं जो बाजार में मिलते हैं और उनका असर इतना नहीं होता जितना इनके इस्तेमाल से होता है।