अक्सर हम देखते हैं कुछ लोग बहुत ख़ुश दिखाई देते हैं, उनके चेहरे की आभा हमेशा चमकती रहती है। हमें उनको देखकर एहसास होता है कि उनके जीवन में कोई भी परेशानी नहीं है, वह हमेशा इतने शांत, सौम्य, उत्साहित दिखते हैं।
जिससे हमें यही लगता है हमारा जीवन भी ऐसा ही होता हम भी इतने ख़ुश उत्साहित दिखाते।
यह संभव है मगर कैसे? यहीं हमेशा सोचते हुए मायूस हो जाते हैं, और अपने भाग्य को कोसते हैं कि हम क्यों नहीं ख़ुश है और वह कैसे इतना ख़ुश है।
सबसे पहले तो हमें अपने अंदर से यह गलतफहमी निकाल देनी चाहिए कि सारी समस्याएँ भगवान ने हमें ही दी है बाकी लोग तो बहुत ख़ुश हैं।
कभी आप उस ज़िंदादिल इंसान से मिले, बाते कीजिए, पूछे, आपको पता चलेगा समस्या तो उसके पास भी उतनी ही है लेकिन वह उन समस्याओ को समस्या या किस्मत का बोझ नहीं, जीवन का हिस्सा समझकर स्वीकार करता है, उन चुनौतियों को मुस्कुरा कर स्वीकार करता है। और फ़िर हर समस्या हर चुनौती उसके लिए आसान हो जाती है। परेशानियाँ कभी बताकर नहीं आती, यह हर किसी के पास अचानक दस्तक देती है।
अमीर-गरीब या कोई भी हो, सबके जीवन में हजारो चुनौती, समस्याएँ रोज़ आती है। सहजता और विनम्रता से विचार कर उनको स्वीकार करें। ज़िंदगी आसान हो जाएगी।
मैं ऐसे ही कुछ लोगों से मिली हूँ जो चुनौतियों को मुस्कुराकर स्वीकार करते हैं, कभी रोना नहीं रोते। उन्हें देख कर आज मैं बहुत ख़ुश होती हूँ, और भाग्यशाली भी ख़ुद को समझती हूँ। यह सोच कर कि मेरी मुलाकात उनसे हुई। और मैं उनसे कुछ सीख सकी।
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दूसरे दिन जासूस पंडित केशवचंद्र बंगला नंबर 24 में पहुॅंचे और वहाॅं पर सब से बातचीत की और पूछा किसी पर भी शक हो तो बताए, घरवालों को किसी पर भी कोई शक नहीं था यहाॅं घर के सभी सदस्य बहुत नॉर्मल दिखे, नौकरानी तो डरी और दुखी दिख रही थी बेटा भी बहुत दुखी था पर अपने ऑफिस के काम में व्यस्त हो गया था। इधर कौशल्या जी के पति से भी काफी पूछताछ हुई लेकिन वह कुछ भी नहीं बता सके और उन्हें किसी पर भी शक नहीं था क्योंकि घर से कोई भी चीज गायब नहीं हुई थी तो चोरी के इल्ज़ाम में नौकरानी को भी कुछ नहीं बोला जा सकता था। अब केशवचंद्र जी की टीम अपने तरीके से पूरे घर का व्योरा करने लगी। बेडरूम से सटा हुआ जो बाथरूम था वहाॅं देखने पर पता चला एक कचरे का डब्बा भी रखा है कचरे के डब्बे को जब खोला गया तो उसमें देखा गया 3 वेट वाइप्स (मूंह पोछने वाला सुगंधित कागज़) रखे थे उन वेट वाइप्स को बाहर निकाला गया और उसे देखा गया तो उसमें लिपस्टिक और थोड़े बहुत मेकअप के दाग दिख रहे थे चुकी कौशल्या जी साधारण औरत थी और वह ना लिपिस्टिक ना मेकअप लगाती थी तो केशवचंद्र जी उसे जाॅंच के लिए भेज दीया।
केशवचंद्र जी नौकरानी को अलग लेकर गए और अब केशवचंद्र उससे पूछताछ करना फिर से शुरू किए। यह किसका है? यह ज़रूर तुम्हारा होगा? नौकरानी फूट-फूट कर रोने लगी, उसने कहा यह मेरा नहीं है फिर बोले कि तुम मुझे घर के सदस्यों के बारे में बताओ थोड़ा भी तुम्हें शक है तो हम इस खूनी तक पहुॅंच सकते हैं नौकरानी डरी थी उसने बोला कौशल्या जी का पति और पत्नी में परसों थोड़ी नोकझोंक हो गई थी क्योंकि एक लड़की उनसे मिलने आई थी रात के 10 बजे और अक्सर काम से देर से आया करते थे तो उन दोनों में सुबह शाम कभी भी झगड़ा हो जाया करता था केशवचंद्र नौकरानी को स्केच बनवाने के लिए ले गए उस लड़की का जो परसों रात आई थी स्क्रेच बनने के बाद उन्हें पता चला वर्मा जी के ऑफिस में ही काम करने वाली लड़की है केशवचंद्र लड़की के पास पहुॅंचे और उसे डराया धमकाया, पूछा, लेकिन लड़की कुछ नहीं बोली उसके बाद उसे मेडिकल चेकअप के लिए भेजा गया।
मेडिकल चेकअप में पता चला वह लड़की प्रेग्नेंट है। अब उस लड़की को सारी बातें बताने में देर नहीं करनी थी। तो उसने बताया कि 11 दिन पहले वह वर्मा जी से मिलने रात के 12 बजे आई थी और काफी देर बाते हुई, मैंने वर्मा जी से शादी करने के लिए बोला लेकिन वह साफ मना कर रहे थे उन्हें कौशल्या जी का डर था लेकिन जैसे ही मैंने मरने की बात कही वर्मा जी डर गए और उसके बाद हम दोनों ने यह प्लान किया।
उस दिन जब नौकरानी मार्केट चली गई तब मैं और वर्मा जी घर आए दोनों एक साथ नहीं आए, पहले वर्मा जी आए, फिर मैं आई 15 मिनट के बाद, उसके बाद हम थोड़ी देर बैठे कौशल्या जी को लगा मैं ऑफिस के काम से आई हूॅं, तो उन्होंने तीन कप चाय बना कर ले आई। हम जैसा कि सोचे थे एक कप में हमने ज़हर डाल दिया और जिसे पीने के एक घंटे के अंदर उनकी मौत होनी थी। चाय पीने के बाद मैं और वर्मा जी ऑफिस के लिए निकल गए। कौशल्या जी घर में थी इस तरह उनकी मौत हो गई ।
अजीब दुनिया की अजीब कहानी, लेकिन पंडित जी ने सुलझाई अपने ढंग से। समाज में किसी भी बुरे का अंत होता है हम बुराई करके बच नहीं सकते हमें यह लगता है की ज़िंदगी आसान है पर इसे आसान बनाने के लिए त्याग की ज़रूरत होती है। समाज हो या घर कहीं भी अपनी जगह ख़ुद बनानी होती है, किसी की हत्या करके उसकी जगह हम नहीं ले सकते।