कविता – पतंग हूँ मैं, दुनिया
पतंग हूँ मैं
पतंग हूँ मैं
उड़ना चाहती हूँ में
जीवन के सारे
रंग समेटे
उड़ती हूँ तलाश ने
अपना एक मुठ्ठी आसमान।
चाहती हूँ बस
कटने ना दोगे कभी
कट भी जाऊँ
दुर्भाग्य से तो
लूटने न दो कभी
सहेज लोगे
प्यार का लेप लगा।
बाॅंध लोगे फिर मुझे
एक नये धागे से
प्यार और विश्वास के
लेकिन डोर है ज़रूरी
मांजा सूता,
तो कटूंगी नहीं,
कोशिश करती हूँ
जीवन सहज हो
ढील भी देनी होगी
कभी-कभी
सदा खींचकर न रख पाओगे मुझे
खुशियों की उड़ान देख मेरी
जानती हूँ
खुश हो जाओगे तुम भी
भूल जाओगे खुशी देख मेरी
हाथ कटने का
गम भी ना होगा …!
दुनिया..
कभी सांझ बनेगी दुनिया
कभी दोपहरी में ही सिमट जायेगी।
कभी पनघट तक आयेगी दुनिया
कभी चौखट से लौट जायेगी।
कभी इशारे में कह जायेगी दुनिया
कभी इशारों से ही लूट ले जायेगी।
कभी बनकर घटा बरस जायेगी दुनिया
कभी रेत सी फिसल जायेगी।
कभी फूल सी महक जायेगी दुनिया
कभी कांटा बनकर चुभ जायेगी।
कभी रहबर बनकर आयेगी दुनिया
कभी पैरों की बेड़ियां बन जायेगी।
कभी दूर तलक ले जायेगी दुनिया
कभी रस्म रिवाजों में बंध जायेगी।
कभी रोशन दिये सी आयेगी दुनिया
कभी तोड़कर सारे सपने चली जायेगी।
जब भी जिंदगी के आगोश में आयेगी दुनिया
नये रंग, ढंग, रूप दिखलायेगी….।
ये साल सदा याद रहेगा, जब तक जीवन है।।
शुरुआत तुम्हारी अच्छी थी,
जश्न भी हुआ, पार्टी भी की,
होली के रंगो में भी भीगे थे हम,
कोरोना आने से तुम्हारा कोई दोष नहीं,
तुमने वो कर दिखाया जो किसी ने नहीं किया,
सबको परिवार के साथ मिला दिया,
घर में परिवार के प्यार को मजबूत किया,
दूर रहने में ही भलाई है सबसे,
संदेश ये सबको दिया..
घरका खाना सिखा दिया,
तुमसे ही तो सीखा ज़िंदगी को जीना,
तुमने ही तो लोगों को दिखाई सच्ची असलियत है,
तुमसे भी हमें बाकी सालों जैसी मुहब्बत है,
बुरा तो वक़्त था, पर साल यूं ही बदनाम हुआ,
कुछ अच्छा तो कुछ बुरा बनके आया ये साल,
पर क़ैद कैसी होती है सीखा गया हमें,
कुछ बुरा था कुछ अच्छा,
बंद घरों में क़ैद होकर पिंजरे का दर्द जाना,
करीब आ गया परिवार, फोन बन गए दोस्त,
आना जाना नहीं हुआ, मिली ये कैसी फुर्सत,
ये साल सदा याद रहेगा, जब तक जीवन है,
कोई ना सिखा सका, वो ये वक़्त सिखा गया,
2020 तुमसे भी हमें बाकी सालों जैसी ही मुहब्बत है,
अपनो को खोया, अपनो को मिलाया,
नौकरियाँ गयी, पढ़ाई रुक गयी, खाने के लाले पड़े
कुछ अच्छा तो कुछ बुरा था,
ये इतना भी बुरा नहीं है,
ये साल सदा याद रहेगा, जब तक जीवन है।।
लेखिका : उषा पटेल
छत्तीसगढ़, दुर्ग