कविता – पतंग हूँ मैं, दुनिया

2020-ki-yaadein

पतंग हूँ मैं

   पतंग हूँ मैं

उड़ना चाहती हूँ में

जीवन के सारे

रंग समेटे

उड़ती हूँ तलाश ने

अपना एक मुठ्ठी आसमान। 

चाहती हूँ बस

कटने ना दोगे कभी

कट भी जाऊँ

दुर्भाग्य से तो

लूटने न दो कभी

सहेज लोगे 

प्यार का लेप लगा। 

बाॅंध लोगे फिर मुझे

एक नये धागे से

प्यार और विश्वास के

लेकिन डोर है ज़रूरी 

मांजा सूता, 

तो कटूंगी नहीं,

कोशिश करती हूँ

जीवन सहज हो

ढील भी देनी होगी

कभी-कभी

सदा खींचकर न रख पाओगे मुझे

खुशियों की उड़ान देख मेरी

जानती हूँ

खुश हो जाओगे तुम भी

भूल जाओगे खुशी देख मेरी

हाथ कटने का 

गम भी ना होगा …! 

दुनिया..

कभी सांझ बनेगी दुनिया

कभी दोपहरी में ही सिमट जायेगी। 

कभी पनघट तक आयेगी दुनिया

कभी चौखट से लौट जायेगी। 

कभी इशारे में कह जायेगी दुनिया

कभी इशारों से ही लूट ले जायेगी। 

कभी बनकर घटा बरस जायेगी दुनिया

कभी रेत सी फिसल जायेगी। 

कभी फूल सी महक जायेगी दुनिया

कभी कांटा बनकर चुभ जायेगी। 

कभी रहबर बनकर आयेगी दुनिया

कभी पैरों की बेड़ियां बन जायेगी। 

कभी दूर तलक ले जायेगी दुनिया

कभी रस्म रिवाजों में बंध जायेगी। 

कभी रोशन दिये सी आयेगी दुनिया

कभी तोड़कर सारे सपने चली जायेगी। 

जब भी जिंदगी के आगोश में आयेगी दुनिया

नये रंग, ढंग, रूप दिखलायेगी….। 

ये साल सदा याद रहेगा, जब तक जीवन है।।

शुरुआत तुम्हारी अच्छी थी,

जश्न भी हुआ, पार्टी भी की,

होली के रंगो में भी भीगे थे हम,

कोरोना आने से तुम्हारा कोई दोष नहीं,

तुमने वो कर दिखाया जो किसी ने नहीं किया,

सबको परिवार के साथ मिला दिया,

घर में परिवार के प्यार को मजबूत किया,

दूर रहने में ही भलाई है सबसे, 

संदेश ये सबको दिया.. 

घरका खाना सिखा दिया,

तुमसे ही तो सीखा ज़िंदगी को जीना,

तुमने ही तो लोगों को दिखाई सच्ची असलियत है,

तुमसे भी हमें बाकी सालों जैसी मुहब्बत है,

बुरा तो वक़्त था, पर साल यूं ही बदनाम हुआ,

कुछ अच्छा तो कुछ बुरा बनके आया ये साल,

पर क़ैद कैसी होती है सीखा गया हमें,

कुछ बुरा था कुछ अच्छा,

बंद घरों में क़ैद होकर पिंजरे का दर्द जाना,

करीब आ गया परिवार, फोन बन गए दोस्त,

आना जाना नहीं हुआ, मिली ये कैसी फुर्सत,

ये साल सदा याद रहेगा, जब तक जीवन है,

कोई ना सिखा सका, वो ये वक़्त सिखा गया,

2020 तुमसे भी हमें बाकी सालों जैसी ही मुहब्बत है,

अपनो को खोया, अपनो को मिलाया,

नौकरियाँ गयी, पढ़ाई रुक गयी, खाने के लाले पड़े

कुछ अच्छा तो कुछ बुरा था,

ये इतना भी बुरा नहीं है,

ये साल सदा याद रहेगा, जब तक जीवन है।।

उषा पटेल

लेखिका : उषा पटेल

छत्तीसगढ़, दुर्ग

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पति का पत्नी के लिए सुंदर कविता

Usha Patel

तुम्हारी झलक

 कभी अकेले में भी मुस्कुराती है,

कभी एक पल में सारा प्यार लुटाती है।

कभी ख़ुद ही बिन बात नाराज़ हो जाए,

कभी ख़ुद ही मान जाती है।

कभी अपनी ख़ामोशी से मुझे परेशान करें,

तो कभी बोल बोल कर मेरा दिमाग खाती है।

झलक तुम्हारी पाने को तरसता हूँ,

पर वो नहीं मिलने के बहाने बनाती है।

कभी लफ्जों से बयान कर देता हूँ प्यार,

कभी वो बिन सुने ही मेरे ज़ज्बात समझ जाती है।

यूँ छुप- छुपकर क्यूँ मुझे देखा करती हो,

अपनी इन्हीं अदाओं से प्यार कर जाती है।

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हमें इश्क़ हुआ

थोड़ा करीब आओ, प्यार हमें कर लेने दो,

मैं दिवाना हूँ तेरे इश्क़ का, बाँहों में भर लेने दो।

दिल में रहती हो, चैन भी चुराती हो,

हाँ! हमें इश्क़ हुआ है, तेरे लबों से लब मिल जाने दो।

कुछ लफ़्जों से तुमने सब अपना बना लिया,

हां इश्क़ है तुम को भी, इश्क़ में फ़ना हो जाने दो।

आलिंगन करने को आतुर, कुछ तुम हृदय की कहो न,

अंग में धारूँ, अंग लगाऊँ, आलिंगन तेरा यूँ हो जाने दो।

तुम मेरी सदा ही प्रियतम, अंग लगाए सब रंग भरूँगा,

तुम्हारे साथ ये ज़िन्दगी, हंसी सफ़र बन जाने दो।

लेखिका – उषा पटेल

छत्तीसगढ़, दुर्ग

Beauty Tips

रोचक कविता

हिंदी कविता – भाईचारा

उषा पटेल

घर-घर उठती दीवारें, दरक रहे जहाँ स्वप्न्न ही सारे, एकाकी,

है बस यही प्रार्थना ईश्वर से, सदा बना रहे यूँ प्यार हमारा।

सुख हो या हो दुःख कोई, न रह जाये अकेला, रहे संग सभी,

हँसते गाते यूँ ही जग में, न हो कोई दुविधा, किसी के मन में,

मिल-जुल विपत्ति से लड़कर, निराश न हो कभी जीवन में,

सबको सबकी यूँ ही रहे फ़िक्र, जग से सुंदर परिवार हमारा।

हर दिन आये लेकर सौग़ाते, खुशियाँ सब एक-दूजे से बाँटें,

गीत सुहाने रहे सजे लबों पर, दिन हो होली, दिवाली रातें।

अपनी बस कहे न कोई, हो सुखी सुन सब आपस की बातें,

खुशियों की बरसातें हों, सुंदर उपवन सा घर-संसार हमारा।

तुम संग बंधा हुआ ये जीवन, तुम ही मेरे जीवन का मधुबन,

तेरी तपस्या से ही खिला हुआ, सुंदर पुष्प अपने घर-आँगन।

यूँ ही जन्म-जन्म मेरे साथी, साथ तेरा रहे बना प्यार हमारा,

न हो कोई यूँ पराया, रहे परिवार का बना हमारा भाई-चारा।

कविता – वो शख्स जानें किधर गया

वो हर किसी की नज़र से, उतर गया,

तहज़ीब की हदों से, जो गुज़र गया।

पाकर मुकाम अपना, रौशन है जहां में,

इज़्ज़त वालिदैन की, अपने जो कर गया।

हर इक आस जुड़ी उससे, भरोसा उसी का,

बात पर अपनी यहाँ, खरा जो उतर गया।

रात ग़म की थी लम्बी बहुत, स्याह चाँदनी भी,

ख़ुद को डुबोया अश्क़ में, और यूँ निखर गया।

बस इक़ ग़लतफ़हमी ज़रा सी, यूँ ही दरम्यां,

मिलजुल के बनाया था जो, घरौंदा बिखर गया।

करता था सबकी इज़्ज़त, जो नेक था बड़ा मगर,

आता नहीं नज़र अब वो, शख्स जानें किधर गया।

इक़ मोहब्बत ही फ़क़त, रास न आई थी उम्रभर उसे,

नाम ख़ुद ही मोहब्बत के जो, कर सारी उमर गया।

सुनसान सी हैं बहुत अब, गलियाँ वो बहारों की सब,

छोड़ किसको जाने कौन, दुनिया से यूँ बसर गया।

उषा पटेल

छत्तीसगढ़, दुर्ग

बारिश की भीनी-भीनी फुहार

Barish

झुलसाती गर्मी से परेशान हृदय, 

लगाता है पल-पल बारिश की गुहार। 

धान की फसल लहलहाए, 

इसके लिए ज़रूरी है बारिश की फुहार। 

रिमझिम-रिमझिम बरसे बदरा, 

और मेंढक करें टर्र-टर्र पुकार। 

अकुलाते पशु-पक्षी सारे,

सूख चुका है सम्पूर्ण संसार।

लौट आए काश! वो बचपन के दिन, 

जब कागज़ की कश्ती कराते थे हम पार।

महक उठे सौंधी मिट्टी, 

और चहुँ ओर ही खुशियाँ अपार। 

उमंग जोश से भर जाए सबका जीवन, 

अन्नदाता न सहे भूख की मार।

धरा की प्यास बुझाए बारिश, 

और करे नवजीवन का संचार। 

महके घर-आँगन सबका, 

जब हो बारिश की भीनी-भीनी फुहार।

मन-मस्तिष्क तब तरोताज़ा हो जाए, 

जब दिखे आसमां में इंद्रधनुष का आकार।

– देवप्रियम

होली पर हिंदी कविता

Life Thoughts

प्रेम विरह कविता हिंदी

कविता : खुशियों का दरवाज़ा

Usha Patel

कहीं बूढ़े सिसकते मिलते है और कहीं जवानी रोती है,

कोई हाथ पसारे बाहर है कोई बाँह फैलाये अंदर है।

हर दरवाजे के अंदर जाने कितनी जानें बसती है,

बच्चे बूढ़े और जवानों की खूब महफ़िल सजती है।

सूरते हाल पूछो उनसे जिसे दर दर ठोकरें ही मिलते है,

दरवाज़े तो है, पर खुशियों का दरवाज़ा नसीबों को मिलते है।

खुल जाता है दरवाज़ा जब हर दुआ क़ुबूल होती है,

इबादत करने वालों की तब हर मुरादें पूरी होती है।

हर मनुष्य के लिए प्रेम, सहायता, हमदर्दी पैदा करनी होती है,

तमाम बुराईयों से परहेज, अपनो से दूरी कम करनी होती है। 

मानवता में खुद को समा कर, जीवन का सार जब मिलता है,

तब कुछ क्षण के लिए हमको, खुशियों का दरवाज़ा मिलता है।

लेखिका- उषा पटेल

छत्तीसगढ़, दुर्ग

होली आई, होली आई

होली आई, होली आई
प्रेम रंग में रंगने आई
रंगों की मस्ती लाई
हर तरफ है खुशियां छाई।

रंग-बिरंगे रंगों की होली आई
रंग और भांग की मस्ती छाई
धूम मचाती बच्चों की टोली आई
होली आई, होली आई।

पिचकारी में भरो रंग
लगाओ सबके अंग-अंग
झूमो, गाओ संग-संग
होली आई, होली आई।

झूमे नाचे गाए मोरे मनवा
बरसे गुलाल रंग मोरे अंगनवा
अपने ही रंग में रंग दे मोहे सजनवा
झूमे नाचे गाए मोरे मनवा।

सब मस्ती में झूमे संग
गली-गली घूम उड़ा रहे रंग
झांझ मजीरा ले मृदंग
मचावे युवा होली में हुड़दंग।

आओ मिलकर सब होली मनाए
एक दूसरे को रंग गुलाल लगाए
गिले शिकवे सब भूल जाए
सब गले से गले मिल जाए।

अवध में खेले राम होली
ब्रज में खेले कृष्ण कन्हैया।

होली आई, होली आई
प्रेम रंग में रंगने आई
रंगों की मस्ती लाई
हर तरफ है खुशियां छाई।

By – Vikash Kumar
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होली पर हिंदी कविता

होली का त्योहार रंगों का त्योहार है। पकवानों का त्यौहार है, हर नफरत और मनमुटाव को भूलकर एक होने का त्यौहार है, और हमारी सभ्यता, संस्कृति का त्यौहार है, बूढ़े, बच्चे, जवान हर किसी को रंग लगाकर प्यार और आशीर्वाद बाँटने का त्यौहार है। इसी प्यार और स्नेह के त्यौहार पर एक सुंदर कविता –

Usha  Patel

रंग जमाती होली

रंग जमाती होली आई,
ठिठोली की हमजोली आई। 
महक उठा फागुन जैसे,
खुशियों की बहार आई। 
होली आई होली आई,
सतरंगी बौछारें लाई। 
नीला, पीला रंग गुलाबी,
पिचकारी ने धूम मचाई। 
गुजिया, भुजिया मिठाई की,
देखो कैसी महक आई। 
कहीं भांग की कुल्फी देखो,
कैसे कैसे रंग जमाई। 
पिचकारी और गुब्बारे से,
देखो कैसे समां बनाया। 
सब द्वेष भाव भुलकर
आपस में गले लगाया। 
कहीं तो है बच्चों की टोली,
प्रेम की जैसे कोई डोली। 
जमा रंग चारों दिशाओं,
मस्ती का त्यौहार होली। 
मस्ती करती इतराती आई,
सबके चेहरे पर खुशियाँ लाई। 
होली आई होली आई,
रंग रंगीली होली आई। 

लेखिका- उषा पटेल

छत्तीसगढ़, दुर्ग

नारी शक्ति

Beauty And Cosmetics tips 

नारी हर घर की शोभा है तू | International Women’s Day 2022

नारी हर घर की शोभा है तू

जग जननी है तू , जग पालक है तू
हर पग रोशन करने वाली है तू
माँ, बेटी, बहन, पत्नी है तू
जीवन के हर सुख-दुख में शामिल है तू
शक्ति है तू, प्रेरणा भी है तू
नारी हर घर की शोभा है तू ।।

दुख को दूर कर खुशिया बिखेरे तू
आँचल की ममता लिए
नैनो की आंसू पिए है तू
शक्ति है तू हर नर की
शोभा है तू हर घर की
आई विपदा जब-जब धरती पर
बनी दुर्गा, कभी काली बनी तू
नारी हर घर की शोभा है तू।।

By – Vikash Kumar
Digital Marketing Stretegist
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बालों को जड़ से मजबूत कैसे करें?

Usha Patel

बालों को सिल्की और शाइनी दिखने के लिए हम महंगे से महंगा शैंपू, कंडीशनर का इस्तेमाल करते हैं।  लेकिन जब शैंपू और कंडीशनर के अत्यधिक इस्तेमाल से हमारे बाल गिरने, झड़ने लगते हैं तब हेयर फॉल की समस्या से परेशान होकर हम मेडिकल ट्रीटमेंट लेते हैं। मगर हर कोई मेडिकल ट्रीटमेंट के बारे में नहीं सोचता है, और यही चाहता है कि कुछ घरेलू और असरदार उपाय मिल जाएं तो इस परेशानी से हमेशा के लिए छुटकारा  मिल जाएगा।

घरेलू नुस्खे, घरेलू उपाय हमेशा ही कारगर सिद्ध हुए हैं। और इसके नियमित इस्तेमाल से बाल झड़ने की समस्या से हमेशा के लिए छुटकारा भी मिल जाता है।

तो आइए ऐसे ही कुछ असरदार हेयर मास्क के बारे में जानेंगे जिसके इस्तेमाल से हेयर फॉल की समस्या से हमेशा के लिए निजात मिल जाएगा। 

1 . दो-तीन चम्मच शिकाकाई को दही के साथ मिलाकर मिश्रण बना लें और इसे बालों पर बालों की जड़ों में अच्छी तरह लगा ले और आधे घंटे तक इस पैक को बालों पर लगा रहने दे, फ़िर शैंपू कर लें। 

(इससे बालों में मजबूती के साथ चमक भी आएगी)

2.  मेथी को भिगोकर पीसकर अच्छा पेस्ट बना लें, इसे  बालों की जड़ों में और बालों के ऊपर अच्छी तरह लगाकर 30 मिनट तक छोड़ दे। उसके बाद हल्का शैंपू कर ले।

( इसका इस्तेमाल महीने में दो या तीन बार कर सकते हैं। बालों में कंडीशनर का काम भी करता है मेथी, और मेथी में मौजूद प्रोटीन, आयरन, निकोंटिनिक एसिड बालों को जड़ों से मजबूत बनाते हैं। )

3. करी पत्ता को पीसकर उसमें भृंगराज पाउडर 2 टेबल स्पून मिलाकर बालों पर लगाएं। इसे पूरे स्कैल्प और बालों पर हल्के हाथों से लगा कर 30 मिनट तक रहने दें, फिर शैंपू कर लें।

( यह बालों के लिए बहुत लाभदायक उपाय है और आसानी से किया जा सकता है )

4. नीम के पत्तों को छाया में सुखाकर पाउडर बना लें या बाजार से खरीद लें। दो-तीन चम्मच नीम के पाउडर में एक नींबू का रस मिलाएं, और पानी डालकर पेस्ट तैयार कर ले।  

और इसका इस्तेमाल महीने में एक या दो बार करें, बालों का गिरना ज़रूर रुकेगा। 

5. आंवले के पाउडर में नींबू का रस मिलाकर अच्छा पैक तैयार कर लें। और इसे स्कैल्प और बालों पर लगाएं। यह बालों को जड़ों से मजबूती प्रदान करने में सहायक है।  हम सभी जानते हैं आंवले का इस्तेमाल बालों के लिए हमेशा से ही अच्छा रहा है। और अगर इस में नींबू का रस मिलाकर लगाते हैं तो इसका असर दोगुना हो जाता है।

6. एलोवेरा का जेल निकालकर बालों पर लगाएं और इसे 30 मिनट के बाद धो लें। इसके नियमित इस्तेमाल से बालों का गिरना बंद हो जाएगा।

यह सभी उपाय घरेलू हैं। इसमें कोई केमिकल नहीं है। इनके नियमित इस्तेमाल से बालों का झड़ना तो रुकेगा ही साथ ही साथ वह घने लंबे और शाइनी भी दिखेंगे।

उषा पटेल

छत्तीसगढ़, दुर्ग

आपकी सोच में ताकत व चमक होनी चाहिए।

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प्रेम विरह कविता हिंदी

©Alfaj_E_Chand (Moon)

वो ग़ुलाब जो दिया था उसने हमें

वो ग़ुलाब जो दिया था उसने हमें, 

हमारी पहली मुलाक़ात पर, 

जिसे छिपाया था मैनें सबकी निगाहों से, 

अपने डायरी के पन्नों के बीच, 

 सूख गये हैं अब वो, 

उन पन्नों के बीच दबे – दबे, 

पर अब भी आती है उससे वही महक, 

जो महक समाये हुए थी उसमें उस वक़्त, 

जब वो छिपाये हुए थी अपने अंदर, 

भरकर मुहब्बत के रंगों के साथ,

अपने सुंदरता अलौकिकता का सारा खज़ाना, 

दिलाती है जो अब भी हमें, 

मीठी यादें उन लम्हों की, 

जिन लम्हों की थी बनी वो साक्षी, 

और बिखेर देती हैं मेरे चेहरे पर, 

एक बार फिर वहीं मुस्कान, 

जो मुस्कान मेरे चेहरे पर आयी थी, 

पाकर उसे उस वक्त,

और कर देती है एक बार फिर, 

जोरों से हृदय स्पंदित मेरा उसकी याद में,

और पाती हूँ मैं ख़ुद को रंगी हुई एक बार पुन:,

उसकी मुहब्बत में, 

ठीक वैसे ही जैसे “राधा” “श्रीकृष्ण ” के प्रेम में, 

और “श्रीकृष्ण” “राधा ” के प्रेम में,

जो सदैव पास होकर भी दूर रहें, 

और दूर होकर भी सदैव पास रहें, 

एक – दूसरे के, 

ठीक वैसे ही मैं और वो है॥ 

जो जा रहें हैं छोड़कर

जो जा रहें हैं छोड़कर, जाने दो  उन्हें; रोको नहीं,

ज़बरदस्ती अपनी मर्ज़ी उनपर तुम कभी थोपो नहीं।। 

 हाँ, बार – बार तेरे कहने से हो सके शायद रूक तो जायेंगे,

पर पहले की भांति….

शायद फिर से वो दिल से रिश्ता संग तेरे निभा ना पायेंगे।। 

ऐसी स्थिति में….

शायद ना तो तुम पूरी तरह से ख़ुश रह पाओगे,

और ना ही वो पूरी तरह से कभी ख़ुश रह पाएंगे।।

दोनों ही…. 

अवसादों और निस्पंद ख़ामोशियों के साये में, 

अपना – अपना कीमती वक़्त बितायेगे।। 

खुशियाँ भी देगी जो दस्तक….

ऐसे उधेड़बुन वाले रिश्तों के दरवाज़े पर;

संपूर्णता के लिबास में लिपटी ना होगी कभी।। 

बदलते वक़्त, बदलते हालात भी,

पहले जैसे उन रिश्तों को मजबूती दे ना पायेगें,

अपने साध्वस को….

किसी -न- किसी कसक के साये तले,

एक-दूजे की निगाहों से हर वक़्त ही छिपाते नजर आयेंगे।। 

जो जा रहें हैं छोड़कर, जाने दो  उन्हें रोको नहीं,

ज़बरदस्ती अपनी मर्ज़ीट उनपर तुम कभी थोपो नहीं।। 

कह दिया अलविदा

कह दिया अलविदा हमेशा के लिए, 

उसका जीवनसाथी, 

अपने भरन -पोषण के लिए नहीं गवारा समझा, 

किसी और पर निर्भर होना, 

चुनी राह अपनी बनने आत्मनिर्भर,

किया नही उसने समझौता परिस्थितियों से, 

अपने स्वाभिमान के खातिर, 

लड़ती रही डटकर लगातार, 

खटकती है वो, 

इसलिए कुछ लोगों की आँखों में,

बस उनके अंतस में बैठे इस डर से, 

कहीं वो निकल जाये ना आगे, 

इस पुरुषप्रधान समाज में,

और बना ना ले कहीं,

 वो अपनी एक अमिट सम्मानीय पहचान, 

देने ना लगे सब उसकी मिसालें, 

करने ना लगे समस्त स्त्री जाति अनुकरण उसका,

आ ना जाये कहीं जिससे पुरुष सत्ता खतरे में,

करते हैं संबोधित जिस कारण ही वही लोग, 

उन कलुषित शब्दों से, 

जो व्याख्या करती नहीं उसके सही व्यक्तित्व को, 

पर उसे पड़ता नहीं फर्क उन दूषित शब्दों से, 

सताता है भय,

क्योंकि डरती नहीं वो,

दुनियावालों की झूठी नापाक चोचलेबाजी से,

इसलिए कि जानती है वो, 

तर्क की कसौटियों पर कसे जायेंगे,

जब विचार उसके,

तब वो उतरेगी खरी शत – प्रतिशत, 

फिर भी वो चाहती नहीं बहस में पड़ना,

उनलोगों के साथ, 

क्योंकि जानती है वो, 

जगाया उसे ही जा सकता है जो सोया हुआ है, 

उसे नहीं जो सोने का नाटक कर हो ||

— ©Alfaj_E_Chand (Mood) ✍✍

Insta id — @alfaj_e_chand

“यूपी में का बा?” गीत नेहा सिंह राठौर

आपकी सोच में ताकत व चमक होनी चाहिए