जग जननी है तू , जग पालक है तू हर पग रोशन करने वाली है तू माँ, बेटी, बहन, पत्नी है तू जीवन के हर सुख-दुख में शामिल है तू शक्ति है तू, प्रेरणा भी है तू नारी हर घर की शोभा है तू ।।
दुख को दूर कर खुशिया बिखेरे तू आँचल की ममता लिए नैनो की आंसू पिए है तू शक्ति है तू हर नर की शोभा है तू हर घर की आई विपदा जब-जब धरती पर बनी दुर्गा, कभी काली बनी तू नारी हर घर की शोभा है तू।।
By – Vikash Kumar Digital Marketing Stretegist LinkedIn
माँ को जब देखती हूॅं चूल्हे पर रोटियाॅं सेकते हुए, नजर चली जाती है उसकी उंगलियों पर, जो शायद पक गई है, चूल्हे की ऑंच सहकर बरसो से, तो सोचती हूॅं, कि शायद उस विश्व रचयिता की उंगलियाॅं भी, इन उंगलियों के सामने कोई महत्व नहीं रखती।
तो दोस्तों रोटियाॅं के ऊपर एक कविता प्रस्तुत करने जा रही हूॅं….। एक नज़र पढ़ लीजियेगा।