बनावटी रिश्तों की सच्चाई
आज आराध्या बिल्कुल ख़ामोश हो अकेले ही येलोस्टोन पार्क में बैठी हुई थी। हर दिन की तरह आज मोहित उसके साथ नहीं आया था। जब मैनें यह देखा तो यही जानने जिज्ञासावश आराध्या के पास गयी कि आज वो अकेली यहाँ कैसे, मोहित आज क्यों उसके साथ नहीं आया और मैं आराध्या के पास जा बैठी उससे कुछ मैं पूछती इससे पहले ही आराध्या मुझे अपने पास पाकर मुझे गले से गला लिया और फफक-फफक कर रोने लगी और कहने लगी — प्यार करना गलत है क्या आरती, कोई गुनाह है क्या प्यार करना , मेरी जिंदगी बर्बाद हो गयी मेरी दुनिया उजड़ गयी। यह सब सुनकर मैंने पहले आराध्या को चुप कराया और उससे सारी बातें पूछने लगी आखिर क्या हुआ ऐसी बहकी – बहकी बातें क्यों बोल रही हो? मोहित तो तुमसे बहुत प्यार करता है। यह बात सुनकर वो बोल उठी – मोहित मुझसे कोई प्यार – व्यार नहीं करता है वो तो किसी और से प्यार करता है। उसने मुझे धोखा दिया है। वो तो दिव्या से प्यार करता है, वहीं दिव्या जिसने रोहन को अपने झूठे प्यार में फंसाकर उसकी ज़िंदगी, उसका कैरियर सबकुछ तबाह कर दी थी। और अब वो मोहित को अपने जाल में, झूठे प्रेम में फंसाकर मेरी ज़िंदगी बर्बाद कर रही है।
मैंने जब मोहित को दिव्या की सच्चाई बताने की कोशिश की तो मोहित उल्टे हमपर ही गुस्सा करने लगा और कहने लगा तुम हमपर शक कर रही हो। और कौन दिव्या ? मैं कोई दिव्या को नहीं जानता जबकि मैने उसे ना जाने कितनी बार मोहित को दिव्या के साथ होटल में, शाॅपिंग माॅल में देखी हूँ। फिर उसने कहा जिस दिव्या की तुम बात कर रही हो वो ऐसी – वैसी लड़की नहीं है, वो तो बहुत ही अच्छी और नेक लड़की है। और हमसे झगड़ने लगा फिर आखिर में धक्के मारकर मुझे घर से निकल जाने को कह दिया । जब मैं वहाँ से जाने लगी तो कह दिया कभी लौटकर फिर मत आना तुम्हारी कोई जरूरत नहीं हमें। दिव्या ने जो कहा था हमसे उनसे आज कर दिया, मोहित को हमसे छीन लिया। मैने रोहन को दिव्या की सच्चाई बताई थी तब ही दिव्या हमसे कही थी देखना एक दिन तुमसे तुम्हारा मोहित मैं छीन लूंगी। तुम मोहित से बहुत प्यार करती हो ना, मोहित से तुम्हे मैं अलग कर दूंगी। देखो दिव्या ने आज वही किया, आरती। मैं ये सबकुछ सुनकर हक्का – बक्का रह गयी आखिर मोहित इतना कैसे बदल गया वो तो आराध्या की हर एक बात अपनी सर ऑंखों पर रखता था। मैने समझा- बुझाकर कर आराध्या को अपने घर ले आयी और कही मैं मोहित से बात करूँगी इस बारे में जब मोहित इस रविवार को अनाथ बच्चों के लिए खाना लेकर मेरे N.G.O. ऑफिस में आयेगा तब। तुम अभी मेरे घर पर ही मेरे साथ रहो ।
आराध्या दिन – भर मोहित की बातें करके पहले खुश होती फिर वो सब वाकया याद करके रोने लगती । आराध्या जैसी बिंदास लड़की की ऐसी हालत मुझसे देखी नहीं जा रही थी लेकिन मैं भी क्या करती आराध्या ने मोहित के घर जाने से मुझे मना कर दिया था दिव्या जो मोहित के साथ रह रही थी इसीलिए ।
देखते ही देखते रविवार आखिर ही आ गया। आराध्या ने हमें अपना ऑफिस जाते वक्त याद दिलाया – आरती आज मोहित से तुम मिलोगी ना। हमने हामी भरते हुए कहा – हां , आराध्या आज मैं मोहित से जरूर मिलूँगी और पूरी कोशिश करूँगी तुम दोनों के बीच की सारी ग़लतफ़हमियाँ दूर हो जाए। यह सुनकर आराध्या के ख़ुशी का ठिकाना ना रहा। मोहित हर बार की तरह अकेले ही मेरे मेरे N.G.O. ऑफिस बच्चों के लिए खाना लेकर आया था । तभी मैने रोहन और आराध्या को भी फोन करके अपना N.G.O. ऑफिस बुला ली। रोहन ने पहले तो आने से मना किया पर जैसे ही आराध्या के बारे में सबकुछ बताया वो आने के लिए झट से तैयार हो गया और कहा आराध्या ने ही तो हमें दिव्या जैसी अपराधिक मानसिकता वाली लड़की से बचाया है अब उसे बचाने की मेरी बारी है। मैने मोहित को भी कहा दिव्या को लेकर नहीं आये, उसे भी यहाँ बुला लो ना हम भी उससे थोड़ा मिल लूं । वो मेरी बात मान गया । रोहन आराध्या और दिव्या तीनों मेरे ऑफिस आ गये। दिव्या ने जैसे ही रोहन को देखा वो वहाॅं से भागने लगी पर मोहित और मैं दोनों ने किसी तरह रोक ली । फिर रोहन ने सबूत के साथ दिव्या की सारी सच्चाई मोहित को बता दिया। मोहित सबकुछ देखकर सुनकर हैरान रह गया और उसे अपनी गलती का अहसास हो गया। वो आराध्या से माफ़ी मांगने लगा और दिव्या को पुलिस के हवाले कर दिया। आराध्या के जीवन से दिव्या नाम का संकट हट गया और आराध्या मोहित की ज़िन्दगी में फिर से बहुरंगी ख़ुशियों की लहर दौड़ गयी।
लेखिका: आरती कुमारी अट्ठघरा ( मून)
नालंदा, बिहार