हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन बना
हबीबगंज स्टेशन जो कि मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की शान है। 15 नवंबर 2021 को उस स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन रखा गया है।
भोपाल की ख़ूबसूरती में आज वर्ल्ड क्लास रानी कमलापति रेलवे स्टेशन का नाम भी जुड़ चुका है। यात्रियों की ज़रूरतों को देखते हुए हर प्रकार की सुविधाओं को प्रदान करने की कोशिश की गई है।
कैसे बदला हबीबगंज स्टेशन का नाम रानी कमलापति स्टेशन
हबीब मियां जो भोपाल के नवाब थे उन्होंने 1970 में स्टेशन के नाम पर अपनी ज़मीन दान में दी थी, ताकि वहां रेलवे स्टेशन का विस्तार हो सके। 1979 में हबीबगंज स्टेशन का निर्माण कार्य हुआ था। दरअसल हबीब का मतलब होता है ख़ूबसूरत और प्यारा। हरियाली और झिलो के बीच बसा यह गांव भोपाल की ख़ूबसूरती को बढ़ा देता है। इसकी ख़ूबसूरती को देखते हुए भोपाल के नवाब की बेगम ने इस गांव का नाम हबीबगंज रखा था।
आज उसी स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन रखा गया है। जिसका उद्घाटन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के हाथों 15 नवंबर को हुई हैं।
15 नवंबर महान स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा जी के जयंती पर रानी कमलापति रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया गया है।
और इसी के साथ हबीबगंज स्टेशन (नया नाम) रानी कमलापति रेलवे स्टेशन का कोड RKMP रखा गया है।
इस स्टेशन की सबसे ख़ास बात यह है कि यह पूरा सौर ऊर्जा से चलेगा। और यहां पर यात्रियों की सुविधाओं का ख़ास ध्यान रखा गया है।
सीहोर जिले के सलकनपुर रियासत के राजा कृपाल सिंह सरौतिया की पुत्री का नाम रानी कमलापति था। रानी कमलापति बचपन से ही बुद्धिमान थी। कमलापति की बुद्धिमता और पराक्रम को देखते हुए राजा कृपाल सिंह ने उन्हें अपने राज्य का सेनापति घोषित किया था।
भोपाल से लगभग 55 किलोमीटर दूर 750 गांवों को मिलाकर गिन्रौरगढ़ रियासत था यहां के राजा सूराज सिंह शाह के बेटे निजाम शाह से ही रानी कमलापति की शादी हुई थी।
रानी कमलापति गिन्नौरगढ़ रियासत की अंतिम गोंड रानी थी। माना जाता है कि अपनी बुद्धिमता, वीरता और पराक्रम के बल पर उन्होंने कई उत्कृष्ट कार्य किए थे। मंदिरों की स्थापना और उद्यान के क्षेत्र में उन्होंने कार्य किए थे। माना जाता है कि रानी कमलापति ने अपनी इज़्ज़त की रक्षा के लिए जल समाधि ले ली। ऐसी वीरांगना के नाम पर आज हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन रखा गया है। आदिवासी समुदायों में से सबसे बड़ा गोंड समुदाय है। और 18 वीं सदी की गोंड साम्राज्य की आखरी शासिका थी रानी कमलापति।