अब तोड़ी हूँ वेग मन का
अब तोड़ी हूँ वेग मन का, मुझको धारा बन बह जाने दो,
मुझे भी साथ ले लो प्रीतम, मुझे भी साथ आने दो।
कदमों के धूल चूम, माथे पर सजाती हर उस क्षण,
विरह की भीषण अग्नि में जब-जब मुझको छोड़ चले जाते हो,
विध्वंस मेरे प्रेम का बचा ले जाते विश्वास कि वह बेला,
पहले मिलन की याद दिला, साथी बनते जब चाँद सितारे।
अबकी जुड़ी, कई बार टूट कर, अब गले मिल नीर बहाने दो,
रखो क़दम जहाँ-जहाँ तुम, साथी बन मुझे पीछे आने दो।
कुछ अधूरे से ख़्वाब
बुनती रही, रचती रही, ख़्वाबों में जीती रही,
कुछ अधूरे से ख़्वाब, अब तक हुए ना पूरे।
विरह वेदना में घायल मन, आस् का दीपक जलाती रही,
अश्रु नैनों से बांध तोड़, गालों पर निशान बनाते रहे।
कंपित अधरो से पिया मिलन की, गीत गाते रही,
अब इंतज़ार को विराम दे दो, दुआ ख़ुदा से करती रही।
अधजगी आँखों से अब तक, ख्वाबों में जीती रही,
ना उम्मीद का दामन छोड़ी, हर ख्वाब तेरे नाम करती रही।
सबसे अनोखा रिश्ता – दोस्ती का,
या हो बचपन, चाहे जवानी या बुढ़ापे की हो कहानी,
गर दोस्त ना हो संग जीवन में,
तो हर उम्र ज़िया बिन खुशियों के।
सबसे अनोखा रिश्ता दोस्ती का,
जो पास नहीं, पर साथ है रहता,
अंजाने राहों पर मिला सौगात ये होता,
दुनिया का सबसे अनमोल उपहार बना।
हर बंधन से आज़ाद, ना जाती, धर्म में बंधा रहता,
जज़्बातों और एहसासो से बना रिश्ता होता,
टूटने का दर्द भी अनोखा ही होता।
बेमिसाल, स्वच्छंद, आज़ाद
बस दिलों में क़ैद होना अरमान होता,
जुगलबंदी की ना कोई सीमा,
दोस्तों बिना ज़िंदगी अधूरा।।
– Supriya Shaw…✍️🌺